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खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए सरसों तेल विकास बोर्ड की जरूरत : विवेक पुरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 7 2020 5:32PM | Updated Date: Jan 7 2020 5:33PM
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नई दिल्ली। खाद्य तेल के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने में सरसों तेल विकास बोर्ड अहम भूमिका निभा सकता है, लिहाजा सरकार को इस दिशा में विचार करना चाहिए। आगामी बजट 2020-21 से पहले खाद्य तेल से जुड़े एक कारोबारी ने यह सुझाव दिया है। पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी का कहना है कि खाने के तेल के लिए आयात पर बढ़ती निर्भरता चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया है, देश में खाने के तेल की जरूरत का तकरीबन 60-65 फीसदी आयात होता है।
 
बकौल पुरी, तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में जब तक नियोजित ढंग से प्रयास नहीं होगा तब तक भारत खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा। उन्होंने 1980 के दशक का जिक्र करते हुए बताया कि उस दौरान तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया गया था जिसका मकसद तिलहनों की उत्पादकता बढ़ाना था ताकि आयात बिल कम हो। उस समय देश की कुल जरूरतों का तकरीब 50 फीसदी खाद्य तेल आयात होता था।
 
पुरी ने बताया कि मिशन लांच होने के 10 साल बाद 1993-94 में भारत खाने के तेल के मामले में लगभग आत्मनिर्भर बन गया क्योंकि देश में खाद्य तेल की कुल जरूरतों का 97 फीसदी घरेलू उत्पादन होने लगा और खपत का महज तीन फीसदी खाद्य तेल का आयात होता था। मगर, तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन की प्रगति बाद में कुंद पड़ गई और धीरे-धीरे तेल आयात पर भारत की निर्भरता बढ़ती चली गई।
 
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को घरेलू खाद्य तेल उद्योग के लिए अनुकूल नीति बनानी चाहिए जिससे किसानों, उपभोक्ताओं और तेल उत्पादकों को समान रूप से उसका फायदा मिले। पुरी ने कहा कि अमेरिकी सोयाबीन एसोसिएशन, स्पेन की इंटरनेशनल ऑलिव कौंसिल और मलेशियन पाम ऑयल बोर्ड की तर्ज पर भारत में सरसों तेल विकास बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए, जिसकी मांग वह पिछले कुछ समय से करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सरसों तेल विकास बोर्ड अनुसंधान व विकास के माध्यम से उसी तरह अहम भूमिका निभा सकता है जिस प्रकार सोयाबीन उद्योग ने सोया प्रोटीन, सोया मिल्क व अन्य उत्पाद बनाकर किया है।
 
उन्होंने कहा कि बोर्ड सरसों के उत्पादों का मूल्य वर्धन कर इस उद्योग के विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित कर सकता है। पुरी ने कहा कि सरसों तेल भारत की कृषि, पाक-कला और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और कई अध्ययनों में यह बताया गया है कि भारत में सरसों तेल खाने का सवोत्तम तेल है जिसमें सेहत के लिए गुणकारी तत्व हैं और सरसों की न सिर्फ आर्थिक प्रासंगिकता है बल्कि भारतीय व्यंजनों के लिए इसकी समृद्ध विरासत भी है। उन्होंने कहा कि भारतीय सरसों तेल उद्योग को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2020-21 का बजट बनाने के दौरान इन बातों का ख्याल रखेंगी। 
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