नई दिल्ली। अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ (एआईपीएमए) ने कठिन दौर से गुजर रहे उद्योग के हित में कच्चे माल पर सीमा शुल्क घटाने तथा सस्ते तैयार उत्पादों के आयात पर डपिंग रोधी शुल्क लगाने और विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते(एफटीए) की समीक्षा करने की गुहार लगाई है। संघ के अध्यक्ष जगत किलावाला ने रविवार को कहा उद्योग के समक्ष कई ज्वलंत समस्याएं हैं और इनका त्वरित निदान किया जाना अपरिहार्य है।
उन्होंने पीवीसी पर सीमा शुल्क को वर्तमान दस प्रतिशत से घटकार साढ़े सात प्रतिशत करने की मांग की । उनका कहना है कि घरेलू माल की उपलब्धता कम रहने के कारण करीब आधी मांग आयात कर पूरी की जा रही है और शुल्क अधिक होने का विपरीत असर पड़ता है । किलावाल ने कहा,‘‘ वाणिज्य मंत्रालय और सरकार को उद्योग के लिए मुख्य कच्चे माल पर सीमा शुल्क बढ़ाने के लिए किसी भी तरह के दबाव में नहीं आना चाहिए ।
उद्योग को राहत देने के लिए पीवीसी पर सीमा शुल्क को घटाया जाना जरुरी है ।’’ उन्होंने उद्योग के लिए बीआईएस मानकों को अनिवार्य बनाने के साथ ही प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष बनाये जाने का भी आग्रह किया है। सीमा शुल्क में किसी प्रकार की वृद्धि को पालीविनाइल क्लोराइड पाईप और फिटिंग कृषि क्षेत्र में अधिक इस्तेमाल को देखते हुए शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोतरी किसानों की जेब पर भी असर डालेगी । इसलिए पालीप्रोपाइलीन और पालीइथिलीन पर सीमा शुल्क साढ़े प्रतिशत बनाये रखा जाना चाहिए। किलावाला ने कहा कि प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योग में करीब 50 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है और इस क्षेत्र में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योग ही मुख्य रुप से कार्यरत हैं ।
अगर शुल्क में बढ़ोतरी की गई तो उद्योग की सेहत पर तो असर पड़ेगा ही लागत बढ़ने से आटोमोटिव और स्वास्थ्य क्षेत्र भी प्रतिकूल प्रभाव होगा। देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले इस उद्योग का सालाना कारोबार पौने चार लाख करोड़ रुपए का है। उपभोक्ता उत्पादों की खपत बढ़ाने के लिए पीईटी के लिए शुल्क को पांच प्रतिशत पर बनाये रखने का आग्रह करते हुए सैन और एबीएस पर सीमा शुल्क को पांच प्रतिशत तक लाया जाये।