मुंबई। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने कहा है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरन्तर अनुसंधान और नवाचार की जरूरत है जिससे समतुल्य इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आ जाने से वर्तमान चीजें पुरानी न पड़ने पायें। डॉ. सारस्वत ने यहाँ प्रामा हिकविजन की ओर से निर्मित देश के पहले एवं सबसे बड़े एकीकृत विश्व स्तरीय सुरक्षा एवं निगरानी सुविधा केन्द्र का मंगलवार को उद्घाटन करने के बाद कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ऐसे अनुसंधानों की आवश्यकता है जिससे देश इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का आयात करने की बजाय इनका निर्यातक बन सके।
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों एवं वस्तुओं के उत्पादन के बाद उनके रखरखाव के लिए सेवा केन्द्रों की महती आवश्यकता है जिससे वे लंबे समय तक लोगों के काम आते रहें। नीति आयोग के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सलाहकार डॉ. नीरज सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में यदि अग्रणी बनना है तो हमें इस दौड़ में आगे रहना ही होगा। इसके लिए अनुसंधान और विकास पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रामा हिकविजन चीन से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स उपरकणों का आयात कर रहा है लेकिन उन्हें तब यह जानकर बड़ी खुशी होगी जब यह कंपनी चीन को ऐसे उपकरणों का निर्यात करने लगेगी। इसके लिए अनुसंधान, नवाचार और विकास की महती आवश्यकता है। गौरतलब है कि प्रामा हिकविजन इंडिया, विश्व की अग्रणी सुरक्षा एवं निगरानी उत्पाद निर्माता कंपनी है। इसने 500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ अपने नये सुविधा केन्द्र का निर्माण किया है।
इस नयी इकाई में प्रति माह 15 लाख लाख कैमरे बनाने की क्षमता है। यहाँ नौ लाइनें हैं जो सर्फेस माउंट प्रौद्योगिकी लेवल उत्पादन करती हैं जो इलेक्ट्रॉनिक चिप और कैमरों का आयात करने की बजाय इन्हें स्थानीय रूप से बनाने में सक्षम है।