नई दिल्ली। सरकार जनजातीय क्षेत्रों में आदिवासियों की आय बढ़ाने तथा बांस उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए स्थानीय स्तर पर एक सौ बांस उद्योग केंद्र स्थापित करेगी। भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राइफेड) के महानिदेशक प्रवीर कृष्ण ने सोमवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि वन धन योजना के तहत झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा और पूर्वोत्तर के सात राज्यों के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में 100 इकाइयां स्थापित करने जा रहा है।
इससे आदिवासी लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने बताया कि सरकार एक योजना तैयार कर रही है जिसके तहत देशभर में 100 बांस केंद्र स्थापित किये जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल कोयला तैयार करेंगे और जिसमें आदिवासी समुदाय के लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन केंद्र में आदिवासी समुदाय के लगभग पांच लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह पर्यावरण के अनुकूल प्रस्ताव है और इसमें बहुत अधिक निवेश की जरूरत नहीं है तथा इससे आदिवासी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
कृष्ण ने बताया कि बांस से बनाया गया चारकोल कार्बन का उत्सर्जन नहीं करता। उन्होंने बताया कि यह औद्योगिक कोयले का अत्यधिक उपयोगी विकल्प है। उन्होंने कहा, ‘‘इन केंद्रों में अक्टूबर महीने के अंत में काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में मरुस्थलीकरण को रोकने के मुद्दे पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में बांस से चारकोल बनाने के मुद्दे पर एक उदाहरण पेश करने जा रहा है।