नई दिल्ली। सरकार ने वर्ष 2024-25 तक पांच वर्षा में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपये निवेश के उद्देश्य से आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा विस्तार कार्यक्रम तैयार करने के लिए कार्यबल गठित किया है। वित्त मंत्रालय ने शनिवार को इस कार्यबल को गठित करने की जानकारी दी। उसने कहा कि इस कार्यबल में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी या उनके द्वारा नामति एक व्यक्ति सहित चार सदस्य और एक सदस्य सचिव है।
कार्यबल को चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर तक सौंपनी है जबकि वर्ष 2021-25 तक की रिपोर्ट दिसंबर 2019 तक देनी है। बयान में कहा गया है कि समग्र विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गुणवत्ता वाली बुनियादी सुविधायें पहली जरूरत है। देश में तीव्र विकास को बनाये रखने के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत है। वर्ष 2024-25 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 1.40 लाख करोड़ डॉलर अर्थात 100 लाख करोड़ रुपये व्यय करने की आवश्यकता है।
वर्ष 2008-17 के दौरान एक दशक में भारत ने 1.10 लाख करोड़ डॉलर इंफ्रा में निवेश किया है। अब वार्षिक इंफ्रा निवेश में तेजी लाने की चुनौती है ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में बुनियादी सुविधाओं का विकास बाधक नहीं बन सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में अगले पांच वर्षा में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने का उल्लेख किया था।
इन परियोजनाओं में सामाजिक और आर्थिक दोनों शामिल होंगे। तीव्रता के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ये परियोजनायें बेहतर तरीके से तैयार कर शुरू की जा सके। इसके मद्देनजर वार्षिक इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन तैयार किया जायेगा। इसको हासिल करने के लिए वित्त मंत्रालय ने आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में कार्यबल गठित किया है।
इसमें वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव या उनके नामित व्यक्ति सदस्य होंगे। इसमें प्रशासनिक मंत्रालय के सचिव भी सदस्य होंगे। आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव (निवेश) भी सदस्य बनाये गये हैं। इसी विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर नीति एवं वित्त प्रकोष्ठ के संयुक्त सचिव सदस्य सचिव बनाये गये हैं।