नई दिल्ली। कृषि लागत और मूल्य आयोग ने केन्द्र सरकार को फसलों के लिए भावांतर योजना की तर्ज पर एक योजना शुरू करने की सलाह दी है। आयोग ने कहा है कि अगर किसानों की फसल का मूल्य बाजार भाव से नीचे चला जाता है तो किसानों के खाते में एमएसपी और बाजार मूल्य के बीच अंतर की रकम को किसानों के सीधे खाते में डाली जानी चाहिए। कृषि लागत और मूल्य आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है। इसी तरह की योजना दो साल पहले मध्यप्रदेश में शुरू हुई थी। इस योजना का नाम भावांतर था। सीएसीपी के अध्यक्ष विजय पॉल शर्मा ने बताया कि यह योजना तब अच्छी तरह से काम कर सकती है जब सभी प्रमुख उत्पादक राज्य एक साथ दिलचस्पी दिखाएं और किसानों की फसल सरकारी भाव यानी एमएसपी पर खरीदने की सुविधा 6 महीने चले।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य को इस योजना को एक साथ लागू करना चाहिए ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके और व्यापारी या बिचौलिये इसका फायदा न उठा सके। ऐसा इसलिए है कि सस्ते भाव पर एक राज्य से फसल खरीद कर बिचोलिये दूसरे राज्य में ज्यादा भाव पर बेचेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों को अपनी उपज व्यापारियों को बेचने देना चाहिए और उन्हें इसकी भरपाई केवल तब करनी चाहिए जब बाजार मूल्य एमएसपी से कम हो। इससे सरकार को पैसे बचाने में भी मदद मिलेगी, खासकर जब फसल का आकार छोटा होता है और बाजार मूल्य एमएसपी से ऊपर होता है, उस स्थिति में सरकार को कोई पैसा नहीं देना है।