नई दिल्ली। भारी घाटा और प्रतिस्पर्धा ने सार्वजनिक क्षेत्र के दूरसंचार क्षेत्र में विलय की मजबूरियां पैदा कर दी हैं। दूरसंचार विभाग फिलहाल अपनी दो बीमार कंपनियों -बीएसएनएल और एमटीएनएल- के विलय के एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है, ताकि सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनियों को जिंदा किया जा सके। एक सूत्र ने मंगलवार को कहा कि बीएसएनएल-एमटीएनएल का विलय दोनों निगमों को जिंदा करने के लिए जिस योजना पर काम किया जा रहा है, उसके कई घटकों में से एक घटक है।
सूत्र ने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल लेगा। इस योजना में एमटीएनएल का बीएसएनएल के साथ विलय किया जाना शामिल है। एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में टेलीफोन सेवा मुहैया कराती है, जबकि बीएसएनएल बाकी सभी सर्किल में मौजूद है। यह कदम मायने रखता है, क्योंकि दोनों कंपनियां घाटे में चल रही हैं और अतीत में अपने कर्मचारियों के वेतन भुगतान में चुनौतियों का सामना कर चुकी हैं।
दूरसंचार विभाग एमटीएनएल और बीएसएनएल के लिए एक रिवाइवल पैकेज के रूप में एक सर्वाइवल योजना तैयार कर रहा है, जिसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना, संपत्ति मौद्रीकरण, और 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन जैसे कदम शामिल हैं। बीएसएनएल का 2018-19 में अनुमानित घाटा 14,000 करोड़ रुपये है। कंपनी के पास 1.65 लाख कर्मचारी हैं और उनकी लागत कंपनी की कुल आय का 75 प्रतिशत बैठती है।