नई दिल्ली। देश में आभासी मुद्रा के अध्ययन और समुचित कार्रवाई के लिए गठित अंतर मंत्रालयी समिति ने इसको प्रतिबंधित करने और देश में इससे जुड़ी गतिविधियां संचालित करने वालों पर जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। सरकार ने नवम्बर 2017 में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था। समिति में सचिव (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय), सेबी के अध्यक्ष और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर भी सदस्य बनाये गये थे। समिति का उद्देश्य आभासी मुद्रा का अध्ययन और समुचित कार्रवाई को लेकर सिफारिश करना था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट और आभासी मुद्रा प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा नियमन विधेयक 2019 का मसौदा सरकार को सौंप दिया है। समिति की रिपोर्ट और विधेयक के प्रारूप को आर्थिक मामलों के विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। समिति ने रिपोर्ट में निजी आभासी के मद्देनजर उनकी कीमतों के उतार चढ़ाव के जोखिम को ध्यान में रखते हुए देश में इस पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। समिति ने देश में इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए जुर्माना लगाने का भी प्रस्ताव किया है। समिति ने आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के संबंध में विचार करने का प्रस्ताव किया है। आभासी मुद्रा और उसकी प्रौद्योगिकी के विकास को देखते हुए समिति ने आवश्यकता होने पर स्थायी समिति का गठन करने किये जाने की आवश्यकता भी बतायी है।