नई दिल्ली। परिवहन उद्योग ने वित्त वर्ष 2019-20 के आम बजट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि इससे उद्योग पर भारी बोझ पड़ेगा और रोजगार के अवसर घटेंगे। परिवहन उद्योग के प्रतिनिधि संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेल्फेयर एसोशिएशन के अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने शनिवार को कहा कि बजट में परिवहन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ नहीं है।
हालांकि इसमें ऐसे कई प्रावधान हैं जो परिवहन उद्योग के कारोबारियों के हितों के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद एवं सीमा शुल्क बढाने तथा सड़क निर्माण उपकर लगाने का उद्योग पर नकारात्मक असर होगा। उन्होंने कहा कि सरकार के इन प्रावधानों से परिवहन लागत में वृद्धि होगी और ग्राहकों पर बुरा असर होगा। इससे खाद्य पदार्थों की कीमतों भी तेजी आयेगी। आर्य ने कहा कि एक करोड़ रुपए से अधिक नकद निकासी पर दो प्रतिशत कर लगाने से परिवहन कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा।
परिवहन उद्योग को लंबी दूरी की यात्राओं में डीजल, पथकर, चालकों के खानपान और वाहनों की खराबी ठीक करने के लिए नकद राशि की जरुरत होती है। लगभग 25 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली किसी भी कंपनी को एक वर्ष में एक करोड़ रुपए की नकद राशि की जरुरत होती है। दो लाख रुपए कर के रुप में देने का कंपनियों पर बुरा प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि बजट में ई वाहनों पर जोर दिया गया है लेकिन ये माल वहन के लायक नहीं होते है। इंवायस की जिम्मेदारी भी परिवहन कंपनियों पर डाल दी गयी है।