नई दिल्ली। ईटी को पता चला है कि असल में प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने 28 जून को नीति आयोग को पत्र लिखकर इस मामले में पहल कर दी थी। जी20 समिट में शामिल होने ओसाका गए मोदी और ट्रंप की मुलाकात उसी दिन हुई थी। नीति आयोग के नाम पीएमओ के पत्र के मुताबिक, 'खासतौर पर चीन में बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग ऐक्टिविटीज चला रहीं कई ग्लोबल कंपनियां राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक कारणों से गंभीरता से वैकल्पिक ठिकाने पर विचार कर रही हैं। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के चलते उनकी रीलोकेशन की कोशिशें या डायवर्सिफाइड लोकेशन की तलाश तेज हो गई है।' इस पत्र में भारत की महंगे आईटी प्रॉडक्ट्स के लिए सस्ते मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की क्षमता की पहचान के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल पैनल का गठन करने की बात कही गई है।
अमेरिकी कंपनियों के साथ बातचीत शुरूआती दौर में है और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। चीन से आॅटो कंपोनेंट, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, प्रोसेस्ड फूड्स, मोबाइल एक्सेसरीज जैसे सेक्टर्स की कंपनियां इंडिया शिफ्ट हो सकती हैं। इंटर-मिनिस्ट्रियल पैनल उन कारणों का पता लगाएगा जिसके चलते वियतनाम जैसी दूसरी डेस्टिनेशंस के मुकाबले भारत कमजोर नजर आ सकता है। यह व्यापारिक विवाद के बीच बन रहे मौकों, हळड के नॉर्म्स के मुताबिक फिस्कल और नॉन फिस्कल इंटरवेंशन के बारे में बताएगा। ग्लोबल एक्सपोर्ट का बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक्स का होता है और सरकार इसमें भारत के लिए बड़ा हिस्सा चाहती है। नैशनल पॉलिसी ऑन इलेक्ट्रॉनिक्स में सरकार ने कुल 190 अरब डॉलर के टोटल मोबाइल फोन प्रॉडक्शन में 110 अरब डॉलर के फोन एक्सपोर्ट करने का टारगेट फिक्स किया है। दूसरी बड़ी बात यह है कि 10 में से छह बड़े इंपोर्टर देशों में स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स सबसे बड़ा इंपोर्ट आइटम है। पीएमओ के पत्र में इन्वेस्टमेंट प्रमोशन विंग, इन्वेस्ट इंडिया से पॉलिसी मेकिंग की पहल के लिए हर तरह का सहयोग देने के लिए कहा गया है।
जापान से इंडिया शिफ्ट हो सकती हैं साउथ कोरियन कंपनियां : मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि इन्वेस्ट इंडिया जापान, साउथ कोरिया और ताइवान की उन कंपनियों से इंडिया में इन्वेस्टमेंट लाने की कोशिश में जुटा है जो ट्रेड वॉर के बीच अपना कारोबार चीन से शिफ्ट करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। जापान की कंपनियां 2014 से ही इंडिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में जुटी हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ रही रणनीतिक भागीदारी के चलते अगले कुछ साल में इसमें तेजी आ सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक साउथ कोरिया की कंपनियां (मैन्युफैक्चरिंग सहित) जापान से इंडिया में शिफ्ट कर सकती हैं।