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मुद्रा योजना से बढ़ रहा है एनपीए, सरकार का क्‍या होगा स्‍टैंड

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 3 2019 12:40AM | Updated Date: Jul 3 2019 12:40AM
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नई दिल्ली। वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर महत्वाकांक्षी स्कीम प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सफलता का जिक्र करते हैं लेकिन बीते एक साल में इस योजना की नॉन परफॉर्मिंग एसेट बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है। आगामी 5 जुलाई के आम बजट में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण इस स्‍कीम के एनपीए को लेकर कुछ अहम ऐलान कर सकती हैं।

दरअसल, पिछले एक साल में मुद्रा योजना की नॉन परफॉर्मिंग एसेट में 126 फीसदी का उछाल आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 में मुद्रा के एनपीए में 9,204।14 करोड़ रुपए की बढ़त हुई है। मार्च 2019 तक मुद्रा योजना का एनपीए बढ़कर 16,481।45 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जबकि मार्च 2017 तक एनपीए 7,277।31 करोड़ रुपए था। रिपोर्ट में बताया गया है कि मुद्रा योजना के तहत कुल 30।57 लाख एकाउंट एनपीए बन चुके है। हालांकि कुल लोन के अनुपात में देखें तो एनपीए का वैल्यू बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इस आदत में तेजी से बढ़त हो रही है।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक यदि किसी बैंक लोन की किस्त या लोन 90 दिनों तक नहीं चुकाया जाता तो उसे एनपीए मान लिया जाता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं के मामले में यह सीमा 120 दिन की होती है। वहीं आरबीआई ने वित्त मंत्रालय को यह चेतावनी भी दी है कि मुद्रा योजना का बैंकों के बढ़ते एनपीए में मुख्य योगदान हो सकता है।
क्या है प्रधानमंत्री मुद्रा योजना?
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत देश के युवाओं को अपना खुद का कारोबार शुरू करने के लिए बिना गारंटी के बैंकों से लोन उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना की शुरूआत 8 अप्रैल 2015 को हुई थी। मुद्रा योजना में तीन तरह के लोन दिए जाते हैं। 50 हजार तक के लोन शिशु योजना के तहत, 50 हजार से 5 लाख तक के लोन किशोर योजना के तहत और 5 लाख से 10 लाख तक के लोन तरुण योजना के तहत दिए जाते हैं। वित्त वर्ष 2018-19 में भी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तय 3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज वितरण के सालाना लक्ष्य को पार कर लिया गया है।
 
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