नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिशेष का सरकार को हस्तांतरण किए जाने पर फैसला लेने वाली समिति की रिपोर्ट सौंपने में फिर विलंब हो गया है। यह जानकारी सोमवार को एक अधिकारी ने दी। सूत्रों ने बताया कि आरबीआई की इकॉनोमिक फ्रेमवर्क कैपिटल (ईसीएफ) समिति के सदस्यों में केंद्रीय बैंक की अधिशेष निधि के वितरण को लेकर मतभेद बरकरार है, इसलिए बिमल जालान की अगुवाई वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए और समय मांगा है।
पूर्ण बजट के संसद में पेश होने के बाद फिर जुलाई में आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में ईसीएफ समिति की बैठक होगी, जिसमें समिति की सिफारिशों को अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा। छह सदस्यीय इस समिति को प्रारंभ में अप्रैल में अपनी रिपोर्ट देनी थी, जो सर्वसम्मति नहीं होने के कारण चौथी बार लंबित हो गई। सूत्रों के अनुसार, आर्थिक कार्य सचिव सुभाष चंद्र गर्ग बजट की तैयारी के कारण ईसीएफ समिति की बैठक में शामिल नहीं हो पाए।
छह सदस्यीय इस समिति में पूर्व आरबीआई डिप्टी गर्वनर राकेश मोहन उपाध्यक्ष हैं और उनके अलावा समिति में गर्ग, आरबीआई केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भरत दोषी और सुधीर मांकड़ और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि समिति के कुछ सदस्य आरबीआई की अत्यधिक निधि को चरणबद्ध तरीके से कम करने के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार को निधि के हस्तांतरण के पक्ष में नहीं हैं।