मुंबई। दूरसंचार विभाग जल्द ही एक प्रस्ताव पेश करने वाला है, जिसके तहत भारत संचार निगम लिमिटेड का फाइबर नेटवर्क किराये पर दिया जाएगा। इससे कंपनी को नगदी की समस्या का सामना करना नहीं पड़ेगा। बीएसएनएल के पास कुल आठ लाख रूट किलोमीटर का फाइबर आधारित नेटवर्क है। इससे अन्य टेलीकॉम कंपनियों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाएगा, ताकि कंपनी अपने कई खर्चों को पूरा कर सके।
फंड की है भारी कमी
फिलहाल कंपनी के पास फंड की भारी कमी है और वो इससे अपनी कई जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। वहीं वीआरएस स्कीम के लिए भी उसे करीब 6500 करोड़ रुपये की जरूरत है। कंपनी को सरकार से भी फिलहाल 3300 करोड़ रुपये का फंड मिलना बाकी है।
हो सकती है 30 हजार करोड़ की कमाई
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस तरीके से कंपनी को सालाना 30 हजार करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है। इसके अलावा कंपनी अपने डोरमेंट हो चुकी संपत्तियों से भी आसानी से कमाई कर सकेगी।
वेतन देने में आई थी परेशानी
168 लाख कर्मचारियों वाले कंपनी को फरवरी में वेतन देने में परेशानी आई थी। सरकार ने पिछले महीने कंपनी को बैंकों से कर्ज दिलाने के लिए गारंटी पत्र जारी किया था। इसके जरिए कंपनी बैंकों से अपनी कार्यशील पूंजी की जरूरतों के लिए 3,500 करोड़ रुपये का कर्ज ले सकती हैं। वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी को इससे काफी सहूलियत मिलेगी। इसी महीने कंपनी ने कहा था कि 2019-20 की सितंबर तिमाही तक स्थिति सामान्य हो जाएगी। बीएसएनएल की कमाई का 55 फीसदी हिस्सा इस मद में जाता है। कंपनी के वेतन बिल में प्रत्येक साल आठ फीसदी की वृद्धि हो रही है। लेकिन कमाई बहुत ज्यादा नहीं हो रही है।
घाटे में है बीएसएनएल
अप्रैल में कंपनी ने अपनी कार्यशील पूंजी जरूरतों के लिए एसबीआई से 1,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेने के लिए करार किया था। दूरसंचार विभाग की गारंटी पर उसे कर्ज मिला था।
आठ हजार करोड़ का घाटा
बीएसएनएल का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2017 में 4,786 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वहीं 2018 में यह बढ़कर आठ हजार करोड़ रुपये हो गया। 2019 में इसके और ज्यादा होने की उम्मीद है।
केवल इन कर्मचारियों को मिला वेतन
फरवरी का वेतन केवल दिल्ली में बने मुख्यालय में तैनात कर्मचारियों के अलावा केरल, जम्मू-कश्मीर और ओडिशा राज्यों में कार्यरत लोगों को मिला है। बीएसएनएल के बोर्ड ने प्रस्ताव दिया था कि वो बैंक से लोन लेकर कर्मचारियों को सैलरी दे दे, लेकिन दूरसंचार मंत्रालय ने इसको मंजूरी नहीं दी थी।