नई दिल्ली। आरबीआई ने पीएम नरेंद्र मोदी की दोबारा सरकार बनने के बाद गुरुवार को पहली बार मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है। इसके साथ ही मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए नए कदमों की घोषणा की है। ई-ट्रांजेक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए आज आरबीआई ने रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NIFT) पर बैंकों से कोई चार्ज नहीं लेने का फैसला किया है।
आरबीआई ने आरटीजीएस और निफ्ट ट्रांजेक्शंस चार्ज खत्म करते हुए कहा है कि, बैंकों को यह फायदा अपने ग्राहकों को देना होगा। आरबीआई की तरफ से गुरुवार को जारी किए बयान में कहा गया कि एक सप्ताह के भीतर बैंकों को इस संबंध में नोटिस जारी कर दिए जाएंगे। जिसके बाद आरटीजीएस एवं एनईएफटी के माध्यम से होने वाले लेन-देन पर ग्राहकों को कोई चार्ज नहीं देना होगा। शीर्ष बैंक के इस फैसले से लाखों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
फिलहाल आरबीआई आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली के जरिये हुये लेनदेन के लिए बैंकों से शुल्क लेता है जिसके बदले बैंक ग्राहकों से इसके लिए शुल्क वसूलते हैं। दरअसल ऑनलाइन बैंकिंग में पैसों का लेन-देन तीन तरीकों आरटीजीएस,एनईएफटी और आईएमपीएस से होता है। इसमें सबसे मंहगी प्रणाली आईएमपीएस है। आरटीजीएस सिर्फ दो लाख रुपये या उससे ज्यादा की राशि के लेनदेन के लिए इस्तेमाल होता है जबकि आईएमपीएस का इस्तेमाल सिर्फ दो लाख रुपये तक के लेनदेन के लिए हो सकता है।