नई दिल्ली। भारत के रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र की दिग्गज सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक लिमिटेड (एचएएल) इन दिनों आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। आलम यह है कि उसके पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने तक के लिए पैसे नहीं हैं। कंपनी को कर्ज लेकर अपने कर्मचारियों को सैलरी देनी पड़ रही है। यह मामला उस समय सामने आया है, जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र की मोदी सरकार पर एचएएल को दरकिनार कर अनिल अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को फेवर करने का आरोप लगा रहे हैं। एचएएल के चीफ आर माधवन ने खुद बताया कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए कर्ज लिया है।
कंपनी के पास काम की कमी ने बढ़ाई मुश्किलें
वर्तमान हालात को देखते हुए एक बात साफ है कि अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में एचएएल को अपने कर्मचारियों को सैलरी देने में खासी दिक्कत आएगी। बताया यह भी जा रहा है कि एचएएल के पास अब काम की भी कमी हो गई है। यदि एचएएल के साल 2003-04 से 2017-18 के बीच के डेटा देखे जाएं, तो इसकी स्थिति कभी इतनी खराब नहीं रही। एचएएल का कैश बैलेंस कभी इतने कम स्तर पर नहीं पहुंचा। साल 2003-04 में न्यूनतम कैश बैलेंस 4 हजार 841 करोड़ रुपए था। एचएएल को साल 2015-16 में 4 हजार 284 करोड़ रुपए और दिसंबर 2017 में 9 सौ 21 करोड़ रुपए के शेयर वापस लेने पड़े थे। माना जा रहा है कि इसके चलते कंपनी के कोष में इतनी ज्यादा कमी आई है।
राहुल ने लगाया था एचएएल की अनदेशी का आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कुछ समय से मोदी सरकार पर एचएएल की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि मोदी सरकार ने फ्रांस से राफेल खरीदने का सौदा छीन कर अनिल अंबानी की कंपनी को दे दिया। राहुल गांधी का आरोप यह भी है कि मोदी सरकार ने राफेल डील के जरिए मोदी सरकार ने अपने दोस्त अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाया है। हालांकि मोदी सरकार राहुल के इन आरोपों को सिरे से खारिज करती आ रही है।