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राम माधव ने पीडीपी-नेकां का बताया पाक कनेक्शन तो उमर ने किया ये चैलेंज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 23 2018 11:25AM | Updated Date: Nov 23 2018 11:26AM
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नई दिल्‍ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। गुरुवार सुबह भाजपा नेता राम माधव ने पीडीपी और नेशनल कान्फ्रेंस पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि पीडीपी-एनसी ने पिछले महीने निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था, वो आदेश भी उन्हें बॉर्डर के पार से आया था। ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार बनाने को लेकर उन्हें नए आदेश मिले होंगे। उन्हें आदेश मिले होंगे कि वे साथ आएं और सरकार बनाएं। इसी कारण राज्यपाल को यह फैसला लेना पड़ा। 
 
 इसके बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राम माधव के बीच जुबानी जंग छिड़ गई। उमर अब्दुल्ला ने राम माधव से कहा कि मैं आपको चैलेंज करता हूं कि इन आरोपों को सिद्ध करके दिखाएं। आपके पास सीबीआई, आईबी और रा हैं। आप जांच कर पब्लिक डोमेन में ला सकते हैं। या तो इन आरोपों को साबित करें अन्यथा माफी मांगें। इस पर राम माधव ने कहा कि मैं अपने शब्द वापस लेता हूं, लेकिन पीडीपी-एनसी का सरकार बनाने का प्रयास असफल रहा। मेरा कमेंट राजनीतिक था, पर्सनल नहीं था।
 
अब दोनों साथ लड़ो चुनाव
उमर के पलटवार के बाद राम माधव ने उमर से कहा कि अब जब आप किसी बाहरी दबाव की बात से इंकार कर रहे हैं, मैं अपनी टिप्पणी वापस ले रहा हूं, लेकिन अब जब आपने साबित कर दिया कि एनसी और पीडीपी के बीच सच्चा प्यार था, जिसकी वजह सरकार गठन की यह नाकाम कोशिश की गई, तो अब आपको अगले चुनाव मिलकर लड़ने चाहिए। ध्यान रहे, यह राजनैतिक टिप्पणी है, व्यक्तिगत नहीं।
 
बलिदान का अपमान 
नेकां नेता उमर अब्दुल्ला ने राम माधव को कहा कि देश की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकर्ताओं के बलिदान को आप नहीं भुला सकते हैं। यह दुर्भाग्य ही है कि एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि हमें पाकिस्तान से निर्देश मिला है। आप उन सहयोगियों के बलिदान का अपमान कर रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के इशारे पर नाचने से इनकार कर दिया था।
 
मौका देता तो अस्थिर सरकार बनती- राज्यपाल
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि अगर किसी भी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देता तो राज्य में पहले जैसे ही हालात हो जाते। उन्होंने कहा कि किसी को भी मौका देता तो बड़े पैमाने पर खरीद-फोरख्त होती। निकाय चुनाव में एक चिड़िया भी हताहत नहीं हुई। फोर्स जान की बाजी लगाकर राज्य में संतुलन लेकर आई है। 
 
विशेषज्ञ असहमत
विधानसभा भंग करने के निर्णय पर गुरुवार को विधि विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि राज्यपाल को पीडीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को सदन में बहुमत साबित करने का एक मौका प्रदान करना चाहिये था। राज्य के पूर्व महाधिवक्ता मोहम्मद इशाक कादरी ने कहा-विधानसभा भंग करने में संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया।
 

 

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