लंदन। सीबीआई में आपसी कलह की कीमत अब केंद्र सरकार को चुकानी पड़ सकती है। यूके की अदालत ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ दायर किए गए सीबीआई के मुकदमे को खारिज कर दिया है।
मुकदमा खारिज करने की वजह कोर्ट ने सीबीआई के कमजोर दस्तावेज और लचर पैरवी को बताया है। कोर्ट के इस फैसले का सीधा फायदा शराब कारोबारी विजय माल्या को होने की उम्मीद है। एनडीए के लिए ये फैसला चिंतित करने वाला है। क्योंकि साल 2018 में कई राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में विपक्षी कांग्रेस अब इस मामले को तूल दे सकती है।
पेश दस्तावेज सिर्फ कागज के टुकड़े
कोर्ट ने कहा कि भारत की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज में एक भी साक्ष्य नहीं है। ये सिर्फ कागज के टुकड़े हैं। जानकारी मुताबिक कोर्ट ने मुकदमा खारिज करने की वजह सीबीआई के कमजोर दस्तावेज और लचर पैरवी को बताया है। कोर्ट के इस फैसले का सीधा फायदा शराब कारोबारी विजय माल्या को होने की उम्मीद जताई जा रही है।
माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज, धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग का आरोप है। मामले की जांच शुरू होने के बाद माल्या ब्रिटेन चला गया था। माल्या मार्च 2016 में ब्रिटेन गया था और तभी से लंदन में रह रहा है। भारत सरकार ब्रिटेन से उसके प्रत्यर्पण की कोशिश में लगी हुई है।
शुरुआत से ही रहा लचर रवैया
- माल्या को लेकर सीबीआई का रवैया शुरू से ही लचर रहा है। माल्या के देश छोड़कर फरार होने पर सीबीआई का तर्क था कि उस वक्त माल्या को रोकने के लिए पर्याप्त कारण नहीं थे।
- विभिन्न बैंकों ने भी माल्या के खिलाफ मिली कानूनी सलाह पर कोई कारवाई नहीं की और माल्या को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।
- 2017 में विजय माल्या ने स्विट्जरलैंड के एक बैंक में 170 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे, जिस पर ब्रिटिश अथॉरिटीज ने आपत्ति जताई थी। यूके फाइनेंशियल इंटेलीजेंस सर्विस यूनिट ने इस पर भारतीय जांच एजेंसियों को भी माल्या के इस कदम के बारे में आगाह किया था।