इस्लामाबाद। पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर वहां की नवनिर्वाचित सरकार की सबसे बड़ी चिंता बनती जा रही है। गिरती अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ की चेतावनी जारी होने के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर अमेरिका की शरण में जाने की कोशिश शुरू कर दी है। पाकिस्तान ने वापस अपने संबंधों को सुधारने के लिए अमेरिका को अलग पाठ पढ़ाने की कोशिश की है। पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा है कि उसे इस्लामाबाद और वॉशिंगटन के रिश्ते को केवल भारत के साथ संबंधों के नजरिए से नहीं देखना चाहिए।
दरअसल, एक तरफ क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ता जा रहा है तो वहीं, नई सरकार बनने के बाद पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली फंडिंग पर ग्रहण लग गया है। ऐसे में पाकिस्तान अब एक बार फिर अमेरिका से शरण मांगने की कोशिशों में जुट गया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका जाकर संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की है। शनिवार को अमेरिका से स्वदेश लौटने के बाद मुल्तान सिटी में विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका को इस्लामाबाद के साथ रिश्तों को केवल अफगान मसले या भारत के साथ संबंधों के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए।
कुरैशी ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों को यह अहसास कराने की कोशिश की है कि सात दशक पुराने हमारे संबंधों को भारत के चश्मे से देखना उचित नहीं होगा। कुरैशी ने कहा कि क्षेत्रीय स्थितियां ऐसी बनती हैं कि बदलाव करने पड़ते हैं लेकिन क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए पाकिस्तान के योगदान को याद रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एक ही दौरे में पूरी बात नहीं बन सकती है, आगे विदेश विभाग अपना प्रयास जारी रखेगा।