अहमदाबाद। महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी बापू और उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में यहां साबरमती आश्रम से दांडी तक लगभग 400 किमी लंबे ऐतिहासिक दांडी मार्ग पर अपने तरह का दुनिया का पहला मैरॉथन आयोजित करेंगे जिसे एक अनूठे कीर्तिमान के तौर पर गिनीज बुक में भी दर्ज किया जा सकता है।
बापू के पुत्र मणिलाल गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नमक कानून को तोड़ने के लिए बापू की ओर से मार्च 1930 में की गई दांडी यात्रा के मार्ग यानी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 64 पर आयोजित होने वाला यह मैराथन कई अर्थों में अपनी तरह का इकलौता होगा।
अगले साल मार्च में दांडी साल्ट चैलेंज नाम के कार्यक्रम के तहत इस मैराथन के साथ ही 400 किमी लंबी साइकिल रेस और भीमरड से दांडी तक 70 किमी की पैदल यात्रा का भी आयोजन होगा। भीमरड वह जगह है जहां बापू ने दांडी यात्रा के दौरान सबसे पहले नमक उठाया था। इसके ऐतिहासिक महत्व को लोगों की स्मृति में बनाए रखने के लिए पैदल यात्रा का आयोजन वहां से होगा। ये तीनों कार्यक्रम इसके बाद हर साल आयोजित होंगे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने वर्ष 2005 में दांडी यात्रा के 75 वें साल में इस मार्ग पर यात्रा का फिर से आयोजन किया था और इसकी वजह से तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने इस मार्ग को दांडी विरासत मार्ग और वहां दांडी म्यूजियम की घोषणा की थी। इस बार उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के बाद भीमरड में एक संग्रहालय बनेगा।
गांधी ने बताया कि मैराथन 12 से 22 मार्च तक आयोजित होगा और वास्तव में इस दौरान हर रोज सुबह और शाम को 21- 21 किलोमीटर के दो हॉफ मैराथन होंगे। इस तरह कुल 19 हॉफ मैराथन होंगे। इसमे लोगों को रिले दौड़ की तर्ज पर दो, तीन अथवा चार की टीम में भी भाग लेने की भी छूट होगी। साइकिल रेस साबरमती से दांडी तक 400 किमी की होगी। बापू से जुड़े इस कार्यक्रम का यह स्वरूप इससे अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने के लिए किया गया है। तीनो कार्यक्रमों में कुल मिला कर 25000 लोगों के भाग लेने की संभावना है।
इसके लिए रजिस्ट्रेशन का काम अगले माह से शुरू होगा और इसमें कई नामवर धावक भी भाग लेंगे। रजिस्ट्रेशन कराने वाले सामान्य लोगों को जाने माने मैराथन धावक डेनियल वाज प्रशिक्षण देंगे। इस कार्यक्रम का सूत्रवाक्य 'कर के देखो' रखा गया है जो बापू ने उनकी दांडी यात्रा का शुरूआत में विरोध करने वाले मोतीलाल नेहरू के एक पत्र के जवाब में लिखा था। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि गांधीजी के साथ सरदार पटेल का कोई विरोध नहीं था। दांडी यात्रा से पहले इसकी तैयारी के दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें जेल भेज दिया था।