नई दिल्ली। भीमा-कोरेगांव मामले में पांच माओवादी विचारकों की गिरफ्तारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल के गठन करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। आपको बता दें कि पांच आरोपी इन दिनों पुलिस के अभिरक्षण में नजरबंद रखे गए हैं। इस मामले में इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की थी लेकिन न्यायालय ने आज इनकार कर दिया।
इस बीच अदालत ने पांचों वामपंथी विचारक और मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा की नजऱबंदी अगले चार हफ्ते के लिए बढ़ा दी है। ये सभी पिछले 29 अगस्त से अपने घरों में नजऱबंद हैं। अब ये सभी चार हफ्तों तक के लिए और नजबंद रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायालय इस केस में दखल नहीं देगा। कोर्ट ने कहा कि यहां पर विचार न मिलने से गिरफ्तारी का मामला नहीं है। कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी प्राथमिक आधार पर सबूतों के बाद की गई है। कोर्ट ने कहा कि यह गिरफ्तारी प्राथमिक तौर पर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माओवादी से संबंध होने के सबूतों के होने के आरोप के बाद की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों ने जांच पर कोई मांग नहीं की है।