थिम्पू। भारत को पड़ोसी देशों से मिल रही चुनौती में नेपाल के बाद अब भूटान का नाम भी इसमें जुड़ सकता है। दरअसल भूटान में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव में पिछड़ना भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है। पार्टी के प्रमुख और मौजूदा प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे को भारत के प्रति उदार और सहयोगी विदेश नीति के लिए जाना जाता है। हालांकि, भूटान चुनाव में पहले राउंड के बाद उनकी पार्टी पिछड़कर तीसरे नंबर पर आ गई है और नए न्यामरूप शोगपा की पार्टी डीएनटी पहले नंबर पर है। मुख्य विपक्षी दल फेंसुम शोगपा की डीपीटी दूसरे नंबर पर है और 18 अक्टूबर तक फाइनल रिजल्ट आने से पहले तक मजबूत दावेदार के तौर पर देखी जा रही है।
मधेसियों के मुद्दे पर जब उल्टा पड़ा भारत का दांव
नेपाल के साथ संबंध खराब होने की शुरूआत 2015 में हुई थी। भारत ने मधेसी लोगों के हितों के लिए नेपाल के साथ जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति 2 महीने के लिए बंद कर दी थी और उस वक्त नेपाल में नए संविधान के लिए काम हो रहा था। भारत लगातार मधेसियों के समान हित का मुद्दा उठा रहा था। हालांकि, दबाव बनाने के लिए भारत का दांव उल्टा पड़ गया और नेपाल ने भारत के साथ दूरी बरतनी शुरू कर दी। उधर, 2013 में भूटान के साथ संबंधों में तल्खी उस वक्त आई थी, जब भारत ने भूटान को केरॉसिन और कुकिंग गैस पर दी जा रही सब्सिडी बंद कर दी। उस वक्त भूटान में चुनाव थे और वहां पेट्रोल-डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई थीं। बता दें कि उस वक्त भूटान के पीएम की अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात के विरोध में भारत ने यह कठोर कदम उठाया था।
डीपीटी की सत्ता भारत के लिए ठीक नहीं!
भूटान के साथ भारत के संबंध अच्छे रहे हैं, लेकिन डीपीटी अगर सत्ता में आई तो यह समीकरण बदल सकता है। 2008 से 2013 तक जब डीपीटी पार्टी की सरकार भूटान में थी तब भारत और भूटान के बीच रिश्तों में कुछ खास गर्माहट नजर नहीं आई। इसकी खास वजह थी कि तत्तकालीन भूटान के प्रधानमंत्री और डीपीटी की पार्टी लाइन चीन के प्रति झुकाव रखती है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी कहा है कि देश का 80% से अधिक उत्पाद भारत में निर्यात करने के कारण देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। हालांकि, नतीजों के बाद भारत को लेकर किसी पार्टी की तरफ से कोई नकारात्मक बयान नहीं दिया गया है।
भारत-नेपाल के रिश्तों में पहले से ही उतार-चढ़ाव
पिछले कुछ वक्त में भारत-नेपाल के साथ संबंध उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं। नेपाल कभी भारत का अहम सहयोगी रहा है, लेकिन नई ओली सरकार लगातार चीन के साथ संबंध प्रगाढ़ करने में जुटी रही है। हाल ही में भारत के साथ एक सैन्य अभ्यास में शामिल होने से नेपाल ने इनकार कर दिया, लेकिन चीन के नेपाल की सेना एक बड़ा सैन्य अभ्यास करने जा रही है।