नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वह अपने उस भाषण से दो अनुपयुक्त शब्दों ‘भीख का कटोरा’ को वापस लेना चाहते हैं, जिसमें उन्होंने इस बात का पक्ष लिया था कि शिक्षण संस्थान सरकारी मदद के बजाय अपने पूर्व छात्रों से मदद मांगे। मालूम हो कि पुणे के ज्ञान प्रबोधिनी स्कूल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जावड़ेकर ने कहा था, ‘कुछ स्कूल फंड मांगने के लिए सरकार के पास चले आते हैं, जबकि वे मदद के लिए अपने पूर्व छात्र-छात्राओं को आसानी से कह सकते हैं। यह पूर्व छात्र-छात्राओं का कर्तव्य है कि वे अपने स्कूल, कॉलेज के लिए योगदान दें। इस तरह के व्यवहार को स्कूलों में बढ़ावा मिलना चाहिए।’ इस बयान को लेकर जावड़ेकर की काफी आलोचना हुई थी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि वह अपने इन शब्दों को वापस लेना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि पुणे में भाषण के दौरान ‘अनजाने में’ इन शब्दों का इस्तेमाल हो गया था। उन्होंने कहा, मेरे भाषण को गलत तरीके से पेश किया गया। सरकार बड़े पैमाने पर शिक्षा में निवेश कर रही है और पिछले चार सालों में बजटीय प्रावधानों में 70 फीसद की वृद्धि की गई है। उसी के साथ पूर्व छात्रों को भी स्कूलों और कॉलेजों के विकास में योगदान करने की जरूरत है।