पुणे। वन बेल्ट, वन रोड के जरिए चीन भारत के पड़ोसी देशों को अपने पाले में खींचवे की कोशिश कर रहा है। सीपेक के जरिए पाकिस्तान को अपने चंगुल में फंसा चुका है। इसके साथ ही श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश में भी पैठ बना रहा है। हाल ही में चीन ने नेपाल पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपने चार बंदरगाहों के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। लेकिन थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत का मानना है कि नेपाल और भूटान का झुकाव भारत की तरफ ही रहेगा।
पुणे में बिम्सटेक-माइलेक्स 18 एक्सरसाइज से इतर उन्होंने कहा कि भौगोलिक कारणों से नेपाल और भूटान का झुकाव शाश्वत तौर पर भारत के साथ ही रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन के प्रति नेपाल का झुकाव अस्थाई है। अपने तर्क को उन्होंने एक उदाहरण के जरिए भी समझाया। बिपिन रावत ने कहा कि आप ने अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों को देखा होगा। दोनों देशों के बीच पहले संबंध काफी घनिष्ठ थे।
भोगोलिक स्थिति भारत के पक्ष में
लेकिन वैश्विक स्तर पर बदलाव की वजह से हालात बदल चुके हैं। 70 वर्ष पहले दोनों देशों के बीच संबंधों में जो गरमी थी आज वो नहीं है। इसलिए हमें इस तरह के हालात से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। हमें ये देखना होगा कि पड़ोसी मुल्कों के साथ सबंधों को और मजबूत कैसे कर सकते हैं।
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत एक बड़ा देश है। इसका अर्थ ये है कि हम जो भी करेंगे या करते हैं उसका अनुसरण किया जाता है। यही वजह है कि हम सैन्यअभ्यासों पर जोर देते हैं। बिपिन रावत कहते हैं कि चीन को हम अपना प्रतिस्पर्धी सिर्फ अर्थव्यवस्था की वजह से मानते हैं। वो भी दुनिया भर में खुद के लिए बाजार की तलाश कर रहे है और भारत को भी बाजार की तलाश है। यह एक प्रतियोगिता है जो बेहतर होगा वो इस प्रतिस्पर्धी माहौल में टिकेगा।