नई दिल्ली। दलितों को किसी भी तरह के अत्याचार से बचाने के लिए प्रावधानों को बहाल करने वाले विधेयक को पेश करने का फैसला कैबिनेट ने बुधवार को लिया है। सूत्रों का कहना है कि इस विधेयक को इसी सत्र के दौरान पास कराया जाएगा। दलित संगठन और सरकार की सहयोगी पार्टी एलजेपी (लोक जनशक्ति पार्टी) के दबाव के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में यह फैसला लिया गया। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल को इस प्रावधान में कोई भी बदलाव न करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में किया था आंदोलन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून के तहत उचित जांच के बाद ही आरोपी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था, जिसके बाद दलित हितों की रक्षा को लेकर बहस शुरू हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को देशभर में दलित संगठनों ने काफी बड़ा आंदोलन भी किया था। आंदोलन इतना उग्र था कि सरकार को इस मामले में अध्यादेश लाने का मन भी बनाना पड़ा।
सरकार को चेतावनी
दलित संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह 9 अगस्त को फिर आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर जाएंगे। पिछले हफ्ते सरकार की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने भी दलितों की मांग मानने के अलावा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस गोयल को एनजीटी के चेयरमैन पद से हटाने की मांग भी कर रहे हैं। जस्टिस जज उन दो जजों में से एक हैं, जिन्होंने अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के संबंध में आदेश दिया था। एलजेपी ने भी अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश के तहत एससी-एसटी एक्ट को लेकर बीजेपी को अल्टिमेटम दे दिया है। एलजेपी ने कहा है कि बीजेपी को समर्थन मुद्दों पर आधारित है।