नई दिल्ली। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से 40 लाख लोगों को हटाने के मुद्दे पर मंगलवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। चर्चा के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया कि ये पहले ही लागू होना चाहिए था, लेकिन आपमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी। वह बोले - सारे विपक्ष के नेताओं को मैंने ध्यान से सुना, मैं पूरी बात सुन रहा था कि किसी ने ये नहीं बताया कि एनआरसी क्यों आया?
उन्होंने कहा कि असम में इसको लेकर बड़ा आंदोलन हुआ, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिसके बाद 14 अगस्त, 1985 को राजीव गांधी ने असम समझौता किया। शाह ने कहा कि इस समझौते का मूल ही एनआरसी था। अवैध घुसपैठियों को पहचान कर एनआरसी बनाया जाएगा, ये आपके ही प्रधानमंत्री लाए थे, लेकिन आपमें इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी, हमारे में हिम्मत है और हम कर रहे हैं।
अमित शाह ने सवाल किया ये सारे लोग 40 लाख चिल्ला रहे हैं, मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर ये लोग किसे बचाना चाहते हैं। क्या आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं? इससे पहले सदन की कार्यवाही जब सुबह शुरु हुई तो नियमित कामकाज निपटाने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों को बताया कि उन्हें कई मसलों पर कार्यस्थगन का नोटिस मिला है लेकिन उन्होंने किसी को मंजूर नहीं किया। उन्होंने कहा कि असम समझौते के अनुरूप ही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बना है और यह एक संवेदनशील तथा गंभीर मुद्दा है। कल भी सदन में यह मसला उठा था।