नई दिल्ली। मोदी सरकार बड़े रक्षा उपकरण तैयार करने वाले दुनिया के शीर्ष पांच देशों की सूची में शामिल होने के लिए अहम पॉलिसी तैयार कर रही है। रक्षा मंत्रालय के एक अफसर ने बताया कि पॉलिसी का खाका तैयार होने पर इसे कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। इसके अगले महीने जारी होने की संभावना है।
इस पॉलिसी का लक्ष्य अगले 10 साल में रक्षा उत्पादन से 1.7 लाख करोड़ का मुनाफा कमाना है। डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी (डीपीपी-2018) के तहत सरकार का जोर लड़ाकू विमान, हमलावर हेलिकॉप्टर समेत बड़े हथियारों को देश में बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन और तकनीक जुटाना है।
भारत सबसे बड़ा हथियार आयातक
स्वीडन के थिंक टैंक ने रिपोर्ट में कहा था कि भारत मिलिट्री हार्डवेयर का सबसे बड़ा आयातक है। 2004-2008 के मुकाबले बीते पांच सालों में भारत ने 111% ज्यादा हथियार आयात किए। पॉलिसी के मसौदे के मुताबिक, सरकार 2025 तक सैन्य उपकरणों और सेवाओं के टर्नओवर को 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए करना चाहती है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने चार सालों में सैन्य उपकरणों और हथियारों के लिए देश-विदेश कंपनियों से 2.40 लाख करोड़ रुपए कीमत के करीब 187 समझौते किए। हालांकि, इनमें से ज्यादातर अटके हुए हैं। नई नीति में रक्षा सामग्री की खरीद प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। साथ ही प्रोजेक्ट में उन मंजूरियों को कम किया जाएगा, जिनसे प्रोजेक्ट में देरी होती है।