नई दिल्ली। देश में युवाओं की आत्महत्या के ताजा आंकड़े बेहद डरावने हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में खुदकुशी करने वालों में सबसे ज्यादा युवा हैं। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2018 में खुदकुशी से जुड़े आंकड़े दिए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या की घटनाओं में 15 साल में 23 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में एक लाख 33 हजार से ज्यादा लोगों ने खुदकुशी की, जबकि 2000 में ये आंकड़ा केवल एक लाख आठ हजार के करीब था। आत्महत्या करने वालों में 33 प्रतिशत की उम्र 30 से 45 साल के बीच थी, जबकि आत्महत्या करने वाले करीब 32 प्रतिशत लोगों की उम्र 18 साल से 30 साल के बीच थी।
खुदकुशी करने की प्रवृत्ति पुरुषों में ज्यादा
खुदकुशी करने वालों में पुरुषों की गिनती महिलाओं से कहीं ज्यादा है। 2015 में 91,500 से ज्यादा पुरुषों ने खुदकुशी की। ये आंकड़ा खुदकुशी करने वालों के कुल आंकड़े का 68 प्रतिशत से भी ज्यादा है, जबकि खुदकुशी करने वाली महिलाओं की गिनती 42 हजार से कुछ ज्यादा रही। ये आंकड़ा खुदकुशी करने वालों की कुल गिनती का साढ़े 31 प्रतिशत है। सबसे नए 2015 के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य में सबसे ज्यादा 1230 युवाओं ने आत्महत्या की थी, जो कुल आंकड़े (8934) का 14 प्रतिशत है। इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु (955) और तीसरे पर छत्तीसगढ़ (625) आता है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु दो ऐसे राज्य हैं, जो आर्थिक रूप से संपन्न राज्यों की श्रेणी में आते हैं, जो आर्थिक प्रगति के दवाब को दिखाता है।
आत्महत्या की वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, युवाओं में आत्महत्या करने की बड़ी वजह बेरोजगारी है। साल 2015 में हुई आत्महत्या के कारणों पर नजर डालें तो परीक्षाओं में फेल होने के कारण 2646 लोगों ने आत्महत्या की थी। इसके अलावा प्रेम प्रसंग के कारण भी 4476 लोगों ने अपनी जिंदगी को खत्म कर लिया। बेरोजगारी के कारण देश में करीब 2723 और प्रोफेशनल जिंदगी में हताशा के चलते 1590 लोगों ने अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया था।