न्यूयॉर्क। वॉशिंगटन. बराक ओबामा ने 2015 में अमेरिकी-अफ्रीकी कार्ड खेलकर नरेंद्र मोदी को पेरिस जलवायु समझौते के लिए राजी किया था। हाल ही में ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल पर लिखी एक किताब में यह दावा किया गया है। यह किताब ओबामा के आठ साल विदेश नीति सहायक और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे बेन रोड्स ने लिखी है।
द वर्ल्ड ऐट इट इज: ए मेमॉयर आॅफ द ओबामा व्हाइट हाउस" नाम से यह किताब लिखी गई है। इसमें रोड्स ने लिखा है कि जब हम पेरिस गए, तो भारत को मनाना सबसे मुश्किल था। वहां एक मौके पर ओबामा खुद दो भारतीय अफसरों से बातचीत करने पहुंचे। वह उन्हें बताना चाहते थे कि भारत का समझौते में शामिल होना जरूरी है, लेकिन ओबामा उन्हें मनाने में नाकाम रहे। किताब में आगे लिखा है, इसके बाद ओबामा ने पेरिस में मोदी के साथ करीब एक घंटा बिताया। लेकिन जब तक ओबामा ने अमेरिकी-अफ्रीकी कार्ड नहीं खेला तब तक बात नहीं बनी।
किताब में लिखा है, लगभग एक घंटे तक, मोदी यह बताते रहे कि उनके देश में 30 करोड़ लोग बिजली बगैर रह रहे हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कोयला सबसे सस्ता विकल्प है। उन्होंने पर्यावरण की परवाह की, लेकिन उन्हें गरीबी से जूझते लोगों की भी चिंता करनी पड़ी। ओबामा ने मोदी से अमेरिका के सौर ऊर्जा निर्माण के बारे में चर्चा की, लेकिन वह इस डील की वजह से हो रहे भेदभाव पर कुछ नहीं कह पाए। हकीकत है कि अमेरिका जैसे देश कोयले से ही विकसित हुए हैं और अब भारत से इसका इस्तेमाल घटाने की मांग कर रहे हैं।
ओबामा ने ऐसे खेला अफ्रीकी कार्ड
- ओबामा ने मोदी से कहा, "देखिए, मुझे पता है कि यह ठीक नहीं है। मैं अफ्रीकी-अमेरिकी हूं।
- किताब में आगे लिखा है, यह सुनकर मोदी हंसे और नीचे अपने हाथों को देखने लगे। वह हकीकत में पीड़ा में दिख रहे थे। ओबामा ने कहा कि मैं जानता हूं कि एक भेदभाव वाली व्यवस्था में रहना कैसा होता है। लेकिन मैं इन वजहों से प्रभावित होकर अपनी सोच को आकार नहीं दे सकता। आपको भी ऐसा नहीं करना चाहिए।
- रोड्स ने लिखा है कि उन्होंने कभी भी ओबामा को किसी नेता से ऐसे बात करते नहीं देखा था। मोदी ने इसकी सराहना की। उन्होंने ऊपर देखा और समझौते पर हामी भर दी।