नई दिल्ली। जज लोया की मौत स्वाभाविक थी या इसकी जांच की जरूरत है इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा है कि SIT की जांच नहीं कराई जाएगी। वहीं तीन जजों की बेंच ने आज अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जज लोया के मामले में जांच के लिए दी गई अर्जी में कोई दम नहीं है। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि हम जजों के फैसले पर संदेह नहीं कर सकते हैं।
कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला, पत्रकार बीएस लोने, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य द्वारा विशेष जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा 12 जनवरी को किए गए प्रेस कांफ्रेंस की तात्कालिक वजह लोया केस की सुनवाई के लिए चुनी गई पीठ थी। हालांकि बाद में उस पीठ ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया था और इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई थी।
कई दिनों तक चली हाई-वोल्टेज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर कहा गया कि जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच जरूरी है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि जज लोया मामले में जो कुछ हो रहा है, वह परेशान करने वाला है। एक के बाद एक जज को सजा’ दी जा रही है। उन्होंने कहा पिछले दिनों जज लोया मामले को बांबे हाईकोर्ट को दूसरे जज के पास भेज दिया गया।