ओटावा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में सम्मानित नजरों से देखे जाते हैं, लेकिन कनाडा की राजधानी ओटावा में स्थापित उनकी प्रतिमा को लेकर विरोध की खबर है। ओटावा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा का छात्रों द्वारा जमकर विरोध करते हुए उसे हटाने की मांग की जा रही है। अफ्रीकन स्टडीज स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष केनेथ अलीउ का कहना है कि महात्मा गांधी काले लोगों के प्रति नस्लवादी थे। हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एसोसिएशन की उक्त मांग ठुकरा दी है। इससे पहले अफ्रीकी देश घाना की यूनिवर्सिटी में भी गांधी की प्रतिमा का विरोध हुआ था।
केनेथ अलीउ का कहना है कि गांधी एक नस्लवादी थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ समझौता कराया था और इसके लिए गांधी जी ने काले लोगों के खिलाफ नस्लवाद को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया था। केनेथ का कहना है कि गांधीजी काले लोगों को काफिर कहा करते थे। दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान गांधी का काले लोगों के प्रति नस्लवाद साफ नजर आता है। केनेथ के मुताबिक प्रतिमा हटाकर इतिहास में हुई गलतियों को सुधारा जा सकता है और उस पर पुनर्विचार किया जा सकता है, जो हमें अभी तक बताया गया है। खासकर ऐसी संस्था से, जिसने कई विचारक बनाए हैं।
सात साल पहले स्थापित हुई थी प्रतिमा
गौरतलब है महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा का गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर 2011 को ओटावा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में अनावरण किया गया था। यह प्रतिमा ओटावा की महात्मा गांधी पीस काउंसिल द्वारा स्थापित की गई थी। काउंसिल का उद्देश्य महात्मा गांधी की शिक्षाओं और उनके सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करना है। कार्लटन यूनिवर्सिटी में जो प्रतिमा स्थापित की गई है, वह भारत सरकार के इंडियन काउंसिल आॅफ कल्चरल रिलेशंस द्वारा दान की गई थी। वहीं दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने महात्मा गांधी पीस काउंसिल को विश्वास दिलाया है कि महात्मा गांधी की प्रतिमा यूनिवर्सिटी परिसर से नहीं हटाई जाएगी।