नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरु शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय के कैंपस छात्राओं और प्रशासन के बीच बढ़ते टकराव और दिन-प्रतिदिन खराब होती स्थिति के लिए कुलपति को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि अगर यही हाल रहा हो जल्द ही यह विश्वविद्यालय एक दिन रैंकिंग में बुरी तरह पिछड़ता चला जायेगा और उसकी छवि खराब हो जाएगी। शिक्षक संघ की अध्यक्ष सोनाझारिया मिंज और सचिव सुधीर कुमार सुथार ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेस में आरोप लगाया कि जब से जगदीश कुमार कुलपति बन कर आये हैं तब से विश्वविद्यालयों के नियमों में मनमाने परिवर्तन कर इस तरह के फैसले लिये जा रहे हैं जिससे छात्रों-शिक्षकों के साथ उनका टकराव बढ़ता जा रहा है और स्थिति बहुत विस्फोटक होती जा रही है जिससे जेएनयू की छवि पर आंच आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि छात्रों के बेहतर प्रदर्शन और मशहूर फैकल्टी के कारण ही आज जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) राष्ट्रीय रैंकिंग में देश का दूसरा श्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। इसमें मौजूदा प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन यही हाल रहा तो यह रैंंिकग में पिछड़ने लगेगा और इसकी प्रतिष्ठा धूल धूसरित हो जायेगी। इसलिए जरूरी है कि जेएनयू के मामले में राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्री हस्तक्षेप करें और कुलपति को हटायें। संघ के दोनों नेताओं ने कहा कि जेएनयू में दाखिले के नियमों में इस तरह बदलाव लाये गए हैं कि सामाजिक रूप से पिछड़े छात्र दाखिले से वंचित हो जायेंगे और दलित आदिवासी छात्रों के आरक्षण में कमी आ जायेगी। उन्होंने कहा कि कुलपति जेएनयू में छात्रों के साथ उत्पीड़न के मामले में आरोपी शिक्षक अतुल जौहरी को बचाते रहे।
इससे पता चलता है कि जेएनयू प्रशासन छात्रों के साथ भेदभाव कर रहा है और लैंगिक आजादी को कुचलने में लगा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन अकादमिक परिषद् का उल्लंघन कर फैसले ले रहा है जो जेएनयू अधिनियम के विरुद्ध है। जेएनयू शिक्षक संघ ने पिछले दिनों विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डी पी सिंह से मुलाकात कर विश्वविद्यालय के कुलपति के मनमाने रवैये की भी शिकायत की। जेएनयू के शिक्षक विश्वविद्यालय को बचाने के लिए अपनी मुहिम जारी रखेंगे और भविष्य में बड़ा आन्दोलन करेंगे। उन्होंने उच्च शिक्षा में स्वायत्तता को पिछले दरवाज़े से निजी कारण का प्रयास करार दिया।