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टीबी की नई खुराक लांच, ठीक होने का समय आधा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 24 2018 4:20PM | Updated Date: Mar 24 2018 4:20PM
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नई दिल्ली। मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) तपेदिक के लिए नई खुराक शनिवार से देश भर में लॉन्च हो गई जिससे इसके इलाज का समय घटकर आधे से भी कम रह जाएगा। स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने विश्व तपेदिक दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में इस एमडीआर टीबी की नई खुराक लांच की । साथ ही देश में तपेदिक की स्थिति पर एक रिपोर्ट और नेशनल ड्रग रेसिस्टेंस सर्वे रिपोर्ट भी जारी किये गये। इसके अलावा उन्होंने निक्षय औषधि पोर्टल भी लांच किया जो पुनरीक्षित राष्ट्रीय तपेदिक कार्यक्रम के तहत दवाओं और प्रयोगशाला उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन के लिए एक सॉफ्टवेयर है। नई खुराक में दवाओं के कॉम्बिनेशन को बदला गया है जिससे अब एमडीआर तपेदिक का उपचार नौ से 11 महीने में पूरा हो जायेगा। पहले इसके मरीज को डेढ़ से दो साल तक दवा खानी होती थी। इससे इस मद में सरकार का होने वाला खर्च भी आधा हो जायेगा। 

 
सूदन ने कहा कि जिस प्रकार भारत ने पोलियो पर विजय प्राप्त की और एचआईवी/एड्स को नियंत्रित किया है, उसी प्रतिबद्धता के साथ हम तपेदिक से भी मुकाबला कर सकते हैं। नये उपचार के साथ अब हमारी उपचार पद्धति विश्व स्तरीय हो गयी है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि एमडीआर तपेदिक किस प्रकार का है इसकी तुरंत पहचान के लिए देश भर में 600 सीबी-नैट मशीनें लगायी जा चुकी हैं तथा अप्रैल तक 530 और मशीनें लगाने की योजना है। इससे आधे घंटे में ही यह पता चल जायेगा कि मरीज किस प्रकार के एमडीआर तपेदिक से ग्रसित है। पहले इस जाँच की रिपोर्ट आने में एक सप्ताह का समय लग जाता था। हर प्रकार के एमडीआर तपेदिक की दवाएँ अलग-अलग होती हैं। 
उन्होंने कहा कि टीबी से मुकाबले के लिए सही समय पर सही उपचार आवश्यक है और सही समय पर पहचान के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत है। हम आम लोगों को भी जागरूकता कार्यक्रमों से जोड़ना चाहते हैं। उन्होंने आम लोगों के साथ डॉक्टरों को भी जागरूक बनाने की जरूरत को रेखांकित किया। 
 
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक बी.डी. अठानी ने कहा कि 24 मार्च 1882 को रॉबर्ट कॉक द्वारा तपेदिक जीवाणु की खोज के बाद से हमने कई युद्ध जीते हैं, लेकिन यह काम अभी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि तपेदिक का पूरा इलाज संभव है और इसलिए इससे हारने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन, दवा की खुराक आधे में ही छोड़ देने के कारण अब तक हम जीत नहीं पाये हैं। सफलता पास होकर भी दूर बनी हुई है। 
अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि टीबी के खात्मे के लिए भारत ने नयी रणनीतिक योजना (एनएसपी) बनाई है। हमने राज्यों से भी उनकी वार्षिक योजना एनएसपी के अनुरूप बनाने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि हर राज्य से कम से कम दो ऐसे ब्लॉक चुनने के लिए कहा गया है जहाँ एक साल के भीतर तपेदिक का उन्मूलन किया जा सके। उन्होंने बताया कि देश में इस समय तपेदिक के 28 लाख मरीज है जो वैश्विक संख्या का 27 प्रतिशत है। इनमें एक लाख 40 हजार एमडीआर तपेदिक के मरीज हैं।
 
दुनिया के 120 देशों में अभी तपेदिक के मरीज हैं और संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2030 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। वहीं, भारत ने वर्ष 2025 तक इसे समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। 
 
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