नई दिल्ली। आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने, कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन करने और दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने आज राज्यसभा में भारी किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
इस तरह से बजट सत्र के दूसरे चरण में लगातार 13वें दिन तक सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका। सभापति एम वेंकैंया नायडु ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरु करते हुए मंत्रियों को जरुरी विधायी कागजात पटल पर रखने के निर्देश दिए। इसके बाद उन्होने शून्यकाल शुरु करने का प्रयास किया तो तेलुगू देशम पार्टी, द्रमुक, अन्नाग्रमुक और कांग्रेस के सदस्य अपनी अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाते हुए सभापति के आसन के समक्ष आ गये। आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के सदस्यों ने अपने हाथो में तख्तियां और पोस्टर ले रखे थे।
इस बीच हंगामें के दौरान विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने उच्चतम न्यायालय की अनुसूचित जाति और जनजाति पर अत्याचार के मामलों में दी गयी व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने इस पर अपना पक्ष ठीक तरह से नहीं रखा है। देश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही है। सदन में इन्हें लेकर तुरंत चर्चा होनी चाहिए। इस पर श्री नायडु ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है लेकिन इसके लिए नोटिस दिया जाना चाहिए।
इसके बाद नायडु ने नारे लगा रहे सदस्यों को वापस अपनी सीटों पर जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा, 'क्या यह संसद है। बाहर लोग क्या सोचेंगे। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। संसद चलाना विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। सभी को इसमें सहयोग करना चाहिए। लेकिन हंगामा कर रहे सदस्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। स्थिति देखते हुए सभापति ने पांच मिनट के भीतर ही सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी।