नई दिल्ली। भारत और फ्रांस की नौसेनाएं अरब सागर , बंगाल की खाडी तथा दक्षिणी पश्चिमी हिन्द महासागर में पिछले पांच दिनों से एक- दूसरे के साथ रण कौशल और अनुभवों को साझा कर रही हैं। दोनों नौसेनाओं के बीच संयुक्त समुद्री अभ्यास का आयोजन मई 1993 से किया जा रहा है और वर्ष 2001 में इसे वरूणा का नाम दिया गया। इसके बाद से अब तक इस तरह के 15 अभ्यास हो चुके हैं। दोनों के बीच अंतिम संयुक्त अभ्यास फ्रांस में अप्रैल 2017 में हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इनेमुएल मैक्रों ने गत 10 मार्च को ही संयुक्त वक्तव्य में कहा था कि दोनों देशों की नौसेना परस्पर सहयोग बढाने के लिए संयुक्त अभ्यास के सिलसिले को जारी रखेंगी। यह अभ्यास 15 मार्च से अरब सागर में शुरू हुआ था और इसका बंदरगाह चरण आज पूरा हो गया जबकि समुद्री चरण 20 से 24 मार्च तक होगा। इस अभ्यास में फ्रांस की पनडुब्बी और युद्धपोत हिस्सा ले रहे हैं जबकि भारत के युद्धपोत आईएनएस मुंबई , त्रिखंड और उनके हेलिकॉप्टर , देश में ही बनी नवनिर्मित पनडुब्बी कलवरी, टोही विमान पी 8- आई, डोर्नियर तथा लड़ाकू विमान मिग 29 के अपने जौहर दिखाऐंगे।