नई दिल्ली। मुंबई के बाद अब दिल्ली में देश भर के किसान ऋण माफी , फसलों का लाभकारी मूल्य निर्धारित करने तथा स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू करने जैसी मांगों को लेकर डेरा डालने पहुंच रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर पंजाब , हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कई अन्य राज्यों के किसान संसद का घेराव करने के लिए मंगलवार से यहां पहुंचने लगे हैं। यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत और महासचिव युद्धवीर सिंह ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों से फसलों की लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा किया था लेकिन चार साल बीतने के बाद भी सरकार इस वादे को पूरा करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि फसल लागत एवं मूल्य आयोग दोषपूर्ण तरीके से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करता है जिसके कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। कृषि विश्वविद्यालयों में फसलों के उत्पादन में जो लागत आती है कम से कम वह लागत किसानों को मिलनी चाहिये।
किसान नेताओं ने कहा कि ऋण की समस्या के कारण किसानों में आत्महत्या की प्रवृति बढी है इसलिए सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे किसानों को सेठ साहूकारों से कर्ज नहीं लेना पड़े। उन्होंने कहा कि बैंक से किसानों को पांच साल के लिए कर्ज मिलना चाहिये।