इस्लामाबाद। पाकिस्तान में रहने वाले सिखों के विवाह के लिए नया कानून लागू होने जा रहा है। आनंद मांगी कानून 1909 की अप्रासंगिक होने के बाद पाकिस्तान सरकार ने सिख विवाह के लिए नए कानून लाने की पेशकश की है।
बिल के अनुसार सिख व्यक्तियों के बीच सभी विवाह, चाहे इस कानून के पहले या बाद के हों, किसी यूनियन काउंसिल के साथ पंजीकृत होंगे। एक विधिवत रूप से पूर्ण और हस्ताक्षरित सिख विवाह फार्म विवाह रजिस्ट्रार को प्रस्तुत किया जाएगा और शादी की तिथि के 30 दिनों के भीतर यूनियन काउंसिल को सूचित किया जाएगा। प्रत्येक संघ परिषद शादी रजिस्ट्री में सिख विवाहों में प्रवेश करने और दर्ज करने के उद्देश्य से एक या एक से अधिक व्यक्तियों को लाइसेंस प्रदान करेगी।
शादी को भंग करने की मांग करने पर सिख महिला या पुरुष को काउंसिल अध्यक्ष को हस्ताक्षरित लिखित नोटिस प्रस्तुत करना होगा इसके अलावा उसी समय अपने अपने जीवनसाथी को लिखित नोटिस की एक प्रति भी प्रदान करना होगी। लिखित नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर, अध्यक्ष एक मध्यस्थता परिषद का गठन करेंगे। लिखित नोटिस की प्राप्ति के 90 दिनों के अंदर, मध्यस्थता परिषद को दोनों पक्षों से मिलना होगा ताकि सुलह के लिए दोनों पक्षों को सुना जा सके। सिख विवाह के विघटन पर अध्यक्ष की शक्तियां इस अधिनियम के अनुसार विघटन के आदेश जारी करने तक सीमित रहेंगी।
सिख विवाह में विघटन के बाद कोई भी पार्टी या तो अपने लिए या फिर किसी भी आश्रित बच्चे के रखरखाव या एकमुश्त भुगतान के आदेश के रूप में वित्तीय राहत के लिए अदालत में आवेदन कर सकती है। अदालत किसी भी पार्टी को वित्तीय राहत के लिए शादी के सभी पहलुओं तथा आय श्रोतों आदि पर विचार करते हुए अपना आदेश देगी।