नई दिल्ली। ड्रोन से विमानों और हवाई अड्डों की सुरक्षा तथा असामाजिक तत्त्वों द्वारा इनके गलत इस्तेमाल को रोकने की तकनीक पर दूरसंचार सेवा प्रदाता वोडाफोन ने परीक्षण शुरू किया है। कंपनी ने मंगलवार को दावा किया कि इस तरह की तकनीक का परीक्षण दुनिया में पहली बार किया जा रहा है। उसने बताया कि इसमें 4जी इंटरनेट आॅफ थिंग्स (आईओटी) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि नागरिक इस्तेमाल में आने वाले वाणिज्यिक ड्रोन इतने छोटे होते हैं कि पारंपरिक रडारों की पकड़ में नहीं आते। ये दुनिया भर में पायलटों के लिए गंभीर खतरा हैं, विशेषकर हवाई अड्डों के आसपास जहां विमान कम ऊँचाई पर उड़ान भर रहे होते हैं। साथ ही असामाजिक तत्त्व भी कैदियों तक नशीली दवाएं पहुंचाने के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की संभावना को लेकर सुरक्षा तथा खुफिया सेवा की चिंता भी बढ़ रही है।
वोडाफोन ने कहा है कि उसने पहली बार ड्रोनों के लिए रेडियो पॅजिशनिंग सिस्टम (आरपीएस) विकसित किया है जिसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का एक एल्गॉरिदम है। इससे बड़ी संख्या में ड्रोन को ट्रैक और दूर बैठकर नियंत्रित किया जा सकेगा। कंपनी ने कहा है कि ड्रोन सुरक्षा को गति देने के लिए उसने अपने आरपीएस अनुसंधान को सार्वजनिक कर दिया है तथा इसके इस्तेमाल पर वह कोई लाइसेंस शुल्क भी नहीं ले रही है। स्पेन के बार्सिलोना में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस के दौरान इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया।