नई दिल्ली। डोकलाम में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध के बाद शुक्रवार को पहली बार दोनों देशों के बीच पेइचिंग में सीमा को लेकर वार्ता हुई। इसको लेकर भारतीय दूतावास एक बयान जारी किया जिसमें उसने कहा कि सीमा वार्ता रचनात्मक और आगे बढ़ने वाली रही। यहां चर्चा कर दें कि डोकलाम में दोनों देशों के बीच करीब ढाई महीने तक सैन्य गतिरोध जारी रहा था। यही नहीं यहां हालात काफी तनावपूर्ण हो गये थे और दोनों ओर सैनिकों का जमवाड़ा लग रहा था। इस विवाद का अंत आखिरकार अगस्त महीने में हुआ। दोनों देशों के बीच यह बातचीत 'वर्किंग मकैनिजम फॉर कंसल्टेशन ऐंड कोऑर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स' के अंतर्गत हुई।
इस सीमा वार्ता के बाद दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होगी जो दिसंबर में होने की उम्मीद जतायी जा रही है। विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत का मेन मोटो सीमा विवाद को खत्म करने की संभावना निकालना है जबकि डबल्यूएमसीसी के तहत बातचीत का फोकस सीमाई इलाकों में शांति स्थापित करना होता है। भारत यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि चीन के सैनिक भूटान के नजदीक यानी भारत-चीन-भूटान के अहम त्रिकोण के करीब सड़क निर्माण का काम दोबारा न शुरू करे। सड़क निर्माण को लेकर ही दोनों देशों की सेना आमने-सामने आ गयी थी। भारतीय सैनिकों की आपत्ति के बाद चीनी सैनिकों ने सड़क निर्माण का काम बंद कर दिया था।
भारतीय दूतावास की तरफ से जारी बयान में जानकारी दी गयी है कि दोनों ही देशों के अधिकारियों ने भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों में हालात की समीक्षा की और दोनों ही पक्ष सीमाई इलाकों में शांति बनाये रखने पर यहमत नजर आये, जो द्विपक्षीय संबंधों में स्थायी विकास की एक अहम पूर्वशर्त रही है। बातचीत में भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रटरी प्रणय वर्मा और दूसरे अधिकारी शामिल थे, जबकि चीन की तरफ से एशियन अफेयर्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल जियाओ किआन और दूसरे अधिकारियों ने हिस्सा लिया।