नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा नैनो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत की गई करीब 1,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया है। टाटा के साथ-साथ इसे वामदलों के लिए भी जोरदार झटका माना जा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन बुद्धदेब भट्टाचार्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने सत्ता के साथ फ्रॉड किया। सुप्रीम कोर्ट ने अब किसानों को उनकी ज़मीन लौटाने के लिए 12 हफ्ते का वक्त दिया है।
किसानों को जमीन वापस दे सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वो 12 हफ्ते में जमीन पर अपना कब्जा लेकर इसे 12 हफ्ते में हकदार किसानों को जमीन वापस करे।
ममता ने फैसले का किया स्वागत
कोर्ट के इस फैसले का पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने स्वागत किया है। ममता ने कहा कि जिन लोगों ने इस संघर्ष में अपनी जान दी ये फैसला उनको श्रद्धांजलि है। ममता बनर्जी ने इसे किसानों की जीत बताया। ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार कोर्ट के आदेश को लागू करेगी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने दी नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले के साथ ही इस केस में दिए गए कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को भी रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस भूमि अधिग्रहण में बेतहाशा खामियां पाई गई हैं। भूमि अधिग्रहण कलेक्टर ने जमीनों के अधिग्रहण के बारे में किसानों की शिकायतों की उचित तरीके से जांच नहीं की। कोर्ट ने लेफ्ट सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें समझना चाहिए था कि किसी कंपनी के लिए राज्य द्वारा भूमि का अधिग्रहण सार्वजनिक उददेश्य के दायरे में नहीं आता।
क्या था पूूरा मामला
बता दें कि साल 2006 में वेस्ट बंगाल की लेफ्ट सरकार ने टाटा की नैनो कार प्लांट के लिए इस भूमि अधिग्रहण किया था। कोर्ट ने कहा, प्राइवेट कंपनी के लिए ज़मीन अधिग्रहण करना जनहित का फैसला नहीं होता, और राज्य सरकार ने इस मामले में सही तरीके से नियमों का पालन नहीं किया, इसलिए यह अधिग्रहण पूरी तरह गैरकानूनी है। राज्य सरकार ने उस वक्त विरोध कर रहे किसानों की बात तक नहीं सुनी, और उन्हें अधिग्रहण के लिए सही मुआवजा भी नहीं दिया गया। अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन किसानों को मुआवजा मिल चुका है, उनसे वापस नहीं लिया जा सकता, क्योंकि एक दशक से वे अपनी ज़मीनों से वंचित हैं।