काबुल। तालिबान ने काबुल के बाहरी इलाके में विदेशियों के रहने के लिए बने एक होटल पर आज एक जबरदस्त आत्मघाती ट्रक हमला किया। कुछ ही दिनों के अंदर अफगान राजधानी पर यह दूसरा घातक हमला है। इस शक्तिशाली विस्फोट में किसी के हताहत होने की कोई तत्काल खबर नहीं है। जिस स्थान पर यह हमला हुआ है, वह काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित सैन्य अड्डे के नजदीक है। विस्फोट के कारण कई किलोमीटर दूर तक की खिड़कियां चटक गईं।
जिस नॉर्थगेट पर यह हमला किया गया है, वहां सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है। विदेशी कॉन्टैक्टरों के रहने के इस स्थान पर जुलाई 2013 में भी हमला किया गया था। तालिबान के हमले तेज होने से यहां की सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति रेखांकित हो रही हैं। अफगान सुरक्षा से जुड़े एक सूत्र ने विस्तृत जानकारी दिए बिना एएफपी को बताया, ‘‘नॉर्थगेट के प्रवेश द्वार विस्फोटकों से भरे एक ट्रक का हमला हुआ है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि ट्रक बम विस्फोट के बाद रॉकेट संचालित ग्रेनेडों और अन्य हथियारों से लैस उग्रवादी परिसर में घुस गए। उसने दावा किया कि तड़के डेढ़ बजे शुरू हुए इस हमले में 100 से ज्यादा ‘अमेरिकी घुसपैठिए’ मारे गए और घायल हुए। तालिबान को अपने हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़ा चढ़ाकर बताने के लिए जाना जाता है।
स्थानीय टीवी स्टेशन टोलो ने कहा कि अफगान कमांडो ने नॉर्थगेट जाने वाली सभी सड़कों पर नाकेबंदी कर ली है। पौ फटने के बाद से ही घटनास्थल से ग्रेनेड विस्फोटों और गोलियों के चलने की आवाजें आ रही हैं। टीवी स्टेशन ने कहा कि नाटो के विशेष बल नॉर्थगेट पर चल रहे अभियान का निरीक्षण कर रहे हैं। यह सुख-सुविधाओं से संपन्न एक परिसर है, जिसमें विस्फोट रोधी दीवारें, निगरानी वाले टावर और खोजी कुत्ते मौजूद है।
इस होटल से तत्काल टेलीफोन के जरिए संपर्क नहीं किया जा सका। इस शक्तिशाली विस्फोट से पहले बिजली गुल थी। विस्फोट की आवाज पूरे शहर में सुनी गई। रमजान के महीने के दौरान थोड़ी शांति रहने के बाद तालिबान ने अपने हमले तेज कर दिए हैं और यह हमला उसकी का एक हिस्सा है।
तालिबान ने जुलाई 2013 में भी इस परिसर में ऐसा ही हमला बोला था। तब ट्रक हमले के बाद बंदूक के दम पर लोगों को बंधक बनाया गया था। उस हमले में चार नेपालियों और एक ब्रितानी नागरिक समेत नौ लोग मारे गए थे। सोमवार के हमले से पहले 23 जुलाई को काबुल में दो विस्फोट हुए थे, जिनमें 80 लोग मारे गए थे। 23 जुलाई का हमला तालिबान को वर्ष 2001 में सत्ता से हटाए जाने के बाद किया गया सबसे घातक हमला था।
ये दो विस्फोट शिया हजारा प्रदर्शनकारियों की भीड़ में किए गए थे। ये लोग मध्य प्रांत बामियान में बिजली की बड़ी लाइन की मांग करते हुए एकजुट हुए थे। बामियान अफगानिस्तान के सबसे बदहाल इलाकों में से एक है। इस हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली थी। यह संगठन तालिबान से कम शक्तिशाली है लेकिन अब धीरे-धीरे अफगानिस्तान में अपनी पैठ बना रहा है।