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किन्नरों से जुड़ा निजी विधेयक पारित कर, राज्यसभा ने रच दिया इतिहास

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 24 2015 11:34PM | Updated Date: Apr 24 2015 11:34PM
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नई दिल्ली। भारतीय संसद के इतिहास में 40 साल बाद कोई निजी विधेयक कानून बनने की दहलीज पर खड़ा हुआ है जो किन्नरों को समाज में बराबरी के अधिकार देने की क्रांतिकारी नींव रखेगा।

राज्यसभा ने शुक्रवार को यह ऐतिहासिक पहल द्रमुक के तिरूचि शिवा की ओर से पेश किये गये इस गैर सरकारी विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक अब लोकसभा के दरवाजे पहुंच गया है जहां यह तय होगा कि यह कानून का रूप ले पाता है या नहीं।

 सत्तर के दशक तक 14 गैर सरकारी विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित होकर कानून बन चुके हैं लेकिन पिछले 40 साल में कोई निजी विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाया है।

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार, राज्यसभा सचिवालय से यह विधेयक अब लोकसभा को भेजा जायेगा जहां कोई भी सदस्य इसे सदन में पेश करने का नोटिस दे सकता है।

इसके बाद विधेयक सदन के नियमों के अनुसार विचार और पारित करने के लिए पेश किया जायेगा। किन्नरों के प्रति सहानुभूति देखते हुए सरकार लोकसभा में भी इस विधेयक के समर्थन में आ सकती है जहां सरकार का बहुमत है।

राज्यसभा में सदन के नेता अरूण जेटली का कहना था कि इस संवेदनशील मुददे पर सदन बंटा हुआ नजर नहीं आना चाहिए। राज्यसभा में सख्याबल के आधार पर मजबूत स्थिति में खड़े विपक्ष ने इस गैर सरकारी विधेयक के पीछे अपनी ताकत झोंक दी जिसके सामने सरकार इसे ध्वनिमत से पारित कराने पर सहमत हो गई है।

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