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अमेरिका का चीन को चैलेंज, नहीं रुक सकती NSG में भारत की एंट्री

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 29 2016 11:46PM | Updated Date: Jun 29 2016 11:46PM
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नई दिल्ली। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में चीन के नेतृत्व में हुए विरोध के चलते भारत का प्रवेश बाधित होने के एक हफ्ते बाद अमेरिका ने कहा कि वह इस समूह में भारत को शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उसने कहा कि बस एक देश के चलते इस पर बनी अंतरराष्ट्रीय सहमति को नहीं तोड़ा जा सकता और जोर दिया कि ऐसे सदस्य को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने कहा कि अमेरिका एनएसजी में भारत का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका के इस शीर्ष राजनयिक ने 'दुख' जताया कि सियोल में पिछले हफ्ते समूह की सालाना बैठक में उनकी सरकार भारत को सदस्य बनाने में सफल नहीं रही। उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि सहमति आधारित संगठन में एक देश सहमति को तोड़ सकता है, लेकिन ऐसा करने पर उसे जवाबदेह बनाया जाना चाहिए न कि अलग- थलग किया जाना चाहिए।' शैनन ने कहा, 'मेरा मानना है कि हम आगे बढ़ें, भारत और अमेरिका मिल बैठकर विमर्श करें कि सियोल में क्या हुआ, राजनयिक प्रक्रिया पर नजर रखें जो महत्वपूर्ण है और देखें कि अगली बार सफल होने के लिए हम और क्या कर सकते हैं।'

भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में 'स्थिरता का वाहक' बताते हुए अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने यह भी कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन जो कर रहा है वह 'पागलपन' है और वह चाहता है कि हिंद महासागर में नई दिल्ली बड़ी भूमिका निभाए।

भारत पिछले हफ्ते चीन के विरोध के कारण प्रतिष्ठित परमाणु व्यवसाय समूह में प्रवेश पाने में विफल रहा था। भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में ह्यह्यस्थिरता का वाहकह्णह्ण बताते हुए अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने यह भी कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर में जो कर रहा है वह ह्यह्यपागलपनह्णह्ण है और वह चाहता है कि हिंद महासागर में नई दिल्ली बड़ी भूमिका निभाए। विदेश सेवा संस्थान में एक वार्तालाप सत्र में उन्होंने कहा कि चीन के बढाने पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती है और अमेरिका भारत के साथ काम करना चाहता है ताकि हिंद महासागर में मजबूत और व्यापक उपस्थिति दर्ज कराई जा सके।

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