ताशकंद। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के पुरजोर प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की और इस बाबत चीन का समर्थन मांगा। हालांकि इस प्रतिष्ठित समूह में भारत की सदस्यता को लेकर चीन का विरोधी रुख बरकरार दिखा।
एएनआई की खबर के मुताबिक, सियोल में जारी एनएसजी की बैठक में चीन ने तो भारत को एनएसजी में शामिल किए जाने का विरोध किया ही, वहीं ब्राजील, ऑस्ट्रिया और न्यूजीलैंड जैसे कुछ अन्य देश भी इस मुद्दे पर चीन के साथ खड़े दिखे।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के अनुसार शी से मुलाकात में पीएम मोदी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का निष्पक्ष आकलन करने का आग्रह किया और कहा कि चीन को भारत के मामले पर एनएसजी सदस्यों में बन रही सहमति से 'जुड़ना और योगदान देना चाहिए'।
भारत की दलील पर चीन से विचार करने की अपील
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के अनुसार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन से इतर शी जिनपिंग से मुलाकात में मोदी ने कहा कि भारत के मामले में निर्णय उसके अपने गुणों को देखकर किया जाना चाहिए और चीन को सोल सम्मेलन में उभर रही आम-सहमति में योगदान देना चाहिए।
जिनपिंग से बातचीत में NSG मुद्दा रहा मुख्य
जब पूछा गया कि क्या भारत ने एनएसजी की सदस्यता के भारत और पाकिस्तान के प्रयासों को अलग करके देखने की जरूरत पर जोर दिया तो उन्होंने कहा, 'आपने सुना कि प्रधानमंत्री ने शी जिनपिंग से कहा कि चीन को भारत के आवेदन का उसके अपने गुणों के आधार पर निष्पक्ष और उद्देश्यपरक मूल्यांकन करना चाहिए और चीन को सोल में उभरती आम-सहमति में शामिल होना चाहिए'।
बैठक में पाकिस्तान के नाम पर चर्चा भी नहीं
साउथ कोरिया की राजधानी सोल में इस मुद्दे पर जारी स्पेशल सेशन में भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान की एनएसजी में एंट्री को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई।
पीएम मोदी ने मांगी चीन से मदद
इससे पहले एनएसजी की सदस्यता के लिए चीन से समर्थन मांगते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। पीएम ने अनुरोध किया कि भारत के आवेदन का निष्पक्ष और उद्देश्यपरक मूल्यांकन किया जाए जो सोल में चल रहे 48 देशों के समूह के पूर्ण अधिवेशन के सामने है।