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नेहरु के कारण भारत नहीं बन सका NSG सदस्य: पूर्व विदेश सचिव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 15 2016 11:02AM | Updated Date: Jun 15 2016 5:28PM
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नई दिल्‍ली। पूर्व विदेश सचिव महाराजकृष्ण रसगोत्रा ने कहा है कि अगर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की एक पेशकश स्वीकार कर ली होती तो भारत को एनएसजी की सदस्यता प्राप्त के लिए अभी इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती। उन्होंने कहा है कि अमेरिका ने चीन द्वारा 1964 में परमाणु परीक्षण करने से काफी पहले भारत को एक परमाणु उपकरण में विस्फोट करने की मदद का प्रस्ताव दिया था। 
 
तो 1962 की जंग भी नहीं होती
आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार रसगोत्रा ने यह भी कहा कि अगर नेहरु ने पेशकश स्वीकार कर ली होती तो भारत न केवल एशिया में चीन से पहले परमाणु परीक्षण कर लेता, बल्कि वह चीन को 1962 में जंग छेड़ने से भी रोक लेता और पाक के फील्ड मार्शल अयूब खान की 1965 में युद्ध की योजनाओं पर भी चेतावनी प्रकट कर देता।  
 
वह ओआरएफ में अपनी नई पुस्तक ‘ए लाइफ इन डिप्लोमेसी’ के विमोचन के मौके पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र के प्रशंसक रहे और नेहरू को अत्यधिक सम्मान देने वाले केनेडी को लगता था कि परमाणु परीक्षण करने वाला पहला एशियाई देश लोकतांत्रिक भारत होना चाहिए, न कि कम्युनिस्ट चीन।
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