नई दिल्ली। भारत NSG (न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप) का सदस्य बनना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया दौरा इसके लिए समर्पित भी रहा। चीन और पाकिस्तान नहीं चाहते कि भारत को NSG की सदस्यता मिले। वहीं भारत भी अपनी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता।
पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को भी इस संदर्भ में फोन किया और लंबी बात की। NSG मुद्दे पर अमेरिका, भारत के पक्ष में है और चीन भारत के खिलाफ। ऐसे में रूस का रुख काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। बताया जा रहा है कि मोदी और पुतिन ने जल्द ही मुलाकात पर भी बात की है।
क्रेमलिन की ओर से जारी किए गए बयान में बताया कि मोदी ने ही पुतिन को फोन किया था। इस मामले में मोदी और पुतिन की जल्द मुलाकात होने की भी संभावना जताई जा रही है। इस दौरान बातचीत दोनों देशों के बीच प्रैक्टिकल इश्यूज और को-ऑपरेशन पर फोकस रहेगा। लेकिन भारत की सदस्यता के विरोध में चीन ने दलील दी है कि एनएसजी को नए आवेदकों के लिए शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए।
एनएसजी संवेदनशील परमाणु प्रौद्दोगिकी तक पहुंच को आसान बनाता है। इससे पहले तक कई देश भारत का इस आधार पर विरोध कर रहे थे कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर भारत की ओर से दस्तखत नहीं किया गया है। लेकिन अब इनमें से कई देशों ने नरमी दिखाई है, लेकिन चीन अब भी अपने रुख पर कायम है। वियाना में भी चीन ने सीधे तौर पर अड़ंगा न लगाते हुए एनपीटी के जरिए अड़ंगा डाला है।
48 देशों के समूह एनएसजी में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं। रविवार को चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन होंग लेई ने रविवार को दावा किया है कि वियना मीटिंग (9 जून) में भारत की मेंबरशिप पर कोई चर्चा नहीं हुई थी। लेई ने कहा कि एनएसजी के मेंबर्स गैर-एनपीटी देशों को इस ग्रुप में एंट्री देने के मामले में बंटे हुए हैं। इस पर अब सियोल में 24 जून को होने वाली मीटिंग में चर्चा होगी।