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कार्यपालिका फेल हो जाती है,तो न्यायपालिका देती है दखलः ठाकुर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 7 2016 12:24AM | Updated Date: Jun 7 2016 1:00PM
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नई दिल्‍ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है, जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अदालतें केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करती हैं। अगर सरकार अपना काम करेगी तो इसकी जरूरत नहीं होगी।

कार्यपालिका से निराश होने पर ही लोग अदालत आते हैं
ठाकुर ने यह भी कहा, 'सरकार को आरोप मढ़ने के बजाय अपना काम करना चाहिए और लोग अदालतों में तभी आते हैं, जब वे कार्यपालिका से निराश हो जाते हैं।' प्रधान न्यायाधीश ने ईटीवी न्यूज नेटवर्क को दिए गए साक्षात्कार में कहा, 'अदालतें केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करती हैं और अगर सरकार अपना काम करेगी तो इसकी जरूरत नहीं होगी।'

बस संविधान द्वारा निर्दिष्ट कर्तव्यों को पूरा करते हैं
ईटीवी नेटवर्क ने एक विज्ञप्ति में बताया कि कार्यपालिका और न्यायपालिका में रस्साकशी के बीच सीजेआई ने कहा कि अगर सरकारी एजेंसियों की ओर से अनदेखी और नाकामी रहती है तो न्यायपालिका निश्चित रूप से अपनी भूमिका अदा करेगी। सरकारी कामकाज में कथित न्यायिक हस्तक्षेप के संबंध में वित्तमंत्री अरुण जेटली के हालिया बयान के बारे में पूछे जाने पर सीजेआई ठाकुर ने कहा, 'हम केवल संविधान द्वारा निर्दिष्ट अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं। अगर सरकारें अपना काम बेहतर तरीके से करें तो हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।'

जजों के खाली पदों पर केंद्र को भेजेंगे रिपोर्ट
उन्होंने कहा कि सरकार को आरोप मढऩे के बजाय अपना काम करना चाहिए। लोग अदालतों में तभी आते हैं जब वे कार्यपालिका से निराश हो जाते हैं। न्यायपालिका में बड़ी गिनती में खाली पड़े पदों के संबंध में जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मैंने कई बार प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है। अब इस मुद्दे पर केंद्र को एक रिपोर्ट भी भेज रहा हूं।

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