नई दिल्ली। जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर ने दावा किया है कि भारत सरकार ने उसे और उसके अन्य दो साथियों को पकड़कर भारत को सौंपने के लिए तालिबान सरकार को धन देने का प्रस्ताव किया था।
अजहर ने दावा किया कि यह प्रस्ताव तत्कालीन विदेश मंत्री जसवन्त सिंह द्वारा तत्कालीन तालिबान प्रमुख अख्तर मोहम्मद मंसूर को किया गया था। मंसूर पिछले महीने अमरीकी ड्रोन हमले में मारा गया है। विमान के अपहरण के समय मंसूर तालिबान के इस्लामिक अमीरत ऑफ अफगानिस्तान का नागरिक उड्डयन मंत्री था।
अजहर ने यह दावा मंसूर की मौत की सूचना देते हुए अपने उपनाम सैदी के जरिए ऑनलाइन पोस्ट में किया है। यह पोस्ट साप्ताहिक अल कलाम के तीन जून के अंक में प्रकाशित हुई है। अल कलाम को जैश का ऑनलाइन माउथपीस माना जाता है।
राजधानी से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार घटना के समय विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान की डेस्क के मुखिया रहे तत्कालीन राजनयिक विवेक काटजू कहते हैं कि यह निराधार आरोप है। मैं उस समय जसवन्त सिंह के ही साथ था।
उल्लेखनीय है कि काटजू यात्रियों के बदले आतंककारियों को छोडऩे मामले में मध्यस्थों में से एक रहे हैं। रॉ के एक अधिकारी आनन्द अमि जो उस समय कंधार एयरपोर्ट पर मौजूद थे, ने भी कहा कि जहां तक मुझे याद है, मंसूर की जसवन्त सिंह से कोई मुलाकात नहीं हुई थी।