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ये थे नेताजी के अंतिम शब्द... हिंदुस्तान को कोई गुलाम नहीं...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 10 2016 12:13PM | Updated Date: Jan 10 2016 12:17PM
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लंदन। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विमान हादसे में हुई मौत से जुड़ी मिस्ट्री के सुलझाने का एक और दावा सामने आया है। बोस के अंतिम समय से जुड़ी जानकारियों को जुटाने का दावा करने वाली वेबसाइट बोसफाइल डॉट इंफो ने प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के हवाले से विमान हादसे में बोस के अंतिम पलों की सिलसिलेवार जानकारी दी है। वेबसाइट ने नेताजी के अंतिम शब्दों को भी सामने लाने का दावा किया है।

अपने एडीसी से कहे ये शब्द
वेबसाइट के मुताबिक नेताजी के एडीसी कर्नल हबीब उर रहमान भी उनके साथ विमान में थे। विमान जब हादसे का शिकार हुआ तो नेताजी बुरी तरह चोटिल हो गए थे। एडीसी के मुताबिक नेताजी को यकीन हो गया था कि अब वे जिंदा नहीं बचेंगे। उन्होंने रहमान से अंतिम शब्द कहे थे, ‘जब अपने मुल्क वापस जाएं तो मुल्क के भाइयों को बताना कि मैं आखिरी दम तक मुल्क की आजादी के लिए लड़ता रहा हूं। वो जंग-ए-आजादी को जारी रखें। हिंदुस्तान जरूर आजाद होगा, उस को कोई गुलाम नहीं रख सकता।’

प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को बनाया आधार
वेबसाइट ने एक बयान जारी कर कहा कि 70 सालों से इस हादसे को लेकर संशय की स्थिति थी। चार अलग-अलग रिपोर्ट थीं, जो एक-दूसरे के सबूतों को ही काट रही थीं। वेबसाइट ने नेताजी की मौत से जुड़े रहस्य की जांच के लिए बनी कमेटी द्वारा रिकॉर्ड किए गए प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर हादसे के अंतिम पलों की पूरी कहानी बताई है। भारत सरकार ने 1956 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जिसकी अगुआई नेताजी की आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाह नवाज खान कर रहे थे।

नेताजी आग के बीच से भागे
कर्नल रहमान ने उस हादसे को याद करते हुए बताया था कि नेताजी उनकी तरफ पलटे। कर्नल ने कहा कि आगे से निकलिए, पीछे से रास्ता नहीं है। कर्नल ने बताया, ‘हम प्रवेश दरवाजे तक नहीं पहुंच पा रहे थे। रास्ता कई चीजों से बंद हो चुका था। नेताजी ने आग की तरफ से निकलने की कोशिश की और वो तेजी से आगे की तरफ भागे। मैं भी उनके पीछे भागा।’ कर्नल ने आगे बताया, ‘जैसे ही मैं आग की लपटों से निकला, मैंने देखा कि नेताजी मुझसे करीब 10 गज की दूरी पर खड़े थे। वे मेरे विपरीत दिशा में देख रहे थे। उनके कपड़ों में आग लग चुकी थी। मैं उनके पास भागा। उनकी आग में जल चुकी शर्ट को शरीर से हटाना काफी कठिन लग रहा था।’

वियतनाम के टुरेन से भरी थी विमान ने उड़ान
वेबसाइट के मुताबिक 18 अगस्त 1945 की सुबह जापान के एक लड़ाकू विमान ने वियतनाम के टुरेन से उड़ान भरी। उस विमान में बोस के साथ 12-13 दूसरे यात्री भी थे। उनके अलावा जापानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल सुनामासा शिदी भी थे। योजना थी कि विमान हाइतो-ताइपे-दायरेन होता हुआ टोक्यो जाएगा। कमेटी ने बताया था कि जिस विमान पर नेताजी सवार थे, उसकी उड़ान के समय मौसम बिल्कुल साफ था और इंजन भी ठीक काम कर रहे थे। पायलट ने हाइतो के ऊपर से सीधे ताइपे जाने का मन बनाया। विमान के एक यात्री और जापान के एयर स्टाफ आॅफिसर मेजर तारो कोनो ने शाह नवाज कमेटी को बताया था, ‘मैंने नोटिस किया कि विमान का बायां इंजन ठीक से काम नहीं कर रहा।

इसके बाद मैंने अंदर जाकर इंजन को चेक किया, तो पाया कि वह ठीक काम कर रहा था।’ कोनो के साथ के इंजीनियर ने भी इंजन को टेस्ट किया और उसे सही पाया। ग्राउंड इंजीनियर इंचार्ज कैप्टन नेकामुरा ने भी मेजर कोनो से सहमति जताते हुए कहा था कि विमान का बायां इंजन खराब था, लेकिन पायलट ने उन्हें बताया कि इंजन एकदम नया है। कैप्टन नेकामुरा ने आगे बताया कि इंजन को धीमा करने के बाद पायलट ने करीब पांच मिनट तक उसे एडजस्ट किया। पायलट मेजर तकाइजवा ने इंजन की दो बार जांच की। इसके बाद नेकामुरा भी संतुष्ट हो गए।

उड़ते ही हुआ जोर का धमाका, प्रोपेलर नीचे गिरा
इसके तुरंत बाद जब विमान ने टेकआॅफ किया तो बोस के एडीसी और सहयात्री कर्नल रहमान ने एक धमाके की आवाज सुनी। अपने बयान में कर्नल ने कहा कि धमाका गोला फटने जैसा था। ग्राउंड इंजीनियर कैप्टन नेकामुरा जमीन से पूरी घटना देख रहे थे। उन्होंने कहा, ‘टेक आॅफ करने के तुरंत बाद प्लेन बार्इं तरफ झुकने लगा था। मैंने देखा कि उससे कुछ गिरा। बाद में मैंने पाया कि वो प्रोपेलर था।’ इंजीनियर ने बताया कि उस समय विमान की ऊंचाई तकरीबन 30 से 40 मीटर थी। उनके मुताबिक कांक्रीट के रनवे के करीब 100 मीटर आगे जाकर विमान क्रैश हो गया और उसके अगले हिस्से में आग लग गई थी।

सिर पर आई थी गहरी चोट
कर्नल रहमान उस समय ऊनी यूनीफॉर्म में थे। जबकि नेताजी ने खाकी कॉटन की यूनिफॉर्म पहन रखी थी, जिसने तेजी से आग पकड़ ली थी। रहमान ने आगे बताया, ‘मैंने उन्हें (नेताजी) जमीन पर लिटा दिया। मैंने पाया कि उनके सिर पर एक गहरी चोट थी। चोट शायद बाएं हिस्से पर थी। उनका चेहरा और बाल आग से झुलस चुके थे। नेताजी ने मुझसे हिंदुस्तानी में पूछा, आप को ज्यादा तो नहीं लगी? मैंने जवाब दिया कि मैं ठीक हूं। नेताजी को खुद के बारे में लग रहा था कि वे नहीं बचेंगे।’ नेताजी ने तब हिंदुस्तान जाकर आजादी की जंग को जारी रखने की बात कही थी।

हर बयान में चोट की बात कॉमन
वेबसाइट के मुताबिक हालांकि पांचों गवाहों के बयान में कुछ अंतर मिले, लेकिन सबके बयानों में एक मूल बात यह सामने आई के क्रैश के दौरान बोस को काफी चोट आई थी। नेताजी को गंभीर हालत में पास के नानमोन मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया। सितंबर 1945 में ब्रिटिश सरकार ने इसका पता लगाने के लिए एक जांच दल भेजा। आदेश था कि अगर बोस जिंदा हों तो उन्हें गिरफ्तार कर लाया जाए, लेकिन जांच दल केवल हादसे की खबर लेकर लौटा।

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