नई दिल्ली। भारत में पहली बार ट्रेन की एक सीट को मंदिर का रूप दे दिया गया है. यह ट्रेन है काशी महाकाल एक्सप्रेस जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई थी। 20 फरवरी से शुरू होने वाली यह ट्रेन वाराणसी से इंदौर के बीच चलेगी। ट्रेन के कोच बी5 की सीट नंबर 64 को शिव का मंदिर बनाया गया है।
वहीं काशी महाकाल एक्सप्रेस के कोच संख्या पांच की सीट नंबर 64 को लेकर उठ रहे सवालों पर IRCTC ने सफाई दी है। कहा जा रहा था कि धार्मिक यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को ट्रेन से आध्यात्मिक रूप से जोड़ने के लिए कोच संख्या पांच के सीट नंबर 64 को मंदिर का रुप देते हुए इसे भगवान के नाम पर पहले दौरे के लिए रिजर्व किया गया है। हालांकि IRCTC की ओर से स्पष्ट किया गया कि यह अस्थाई व्यवस्था के तहत सिर्फ पहले दौरे के लिए किया गया है।
इस बीच रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सफाई देते हुए कहा कि असदुद्दीन ओवैसी के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है। जिस ट्रेन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया, उसमें ज्योतिर्लिंग की स्थापना नहीं की गई है। यह केवल उद्घाटन समारोह के लिए था। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विश्वास के आधार पर कुछ कर्मचारियों ने बर्थ पर भगवान की फोटो लगा दी थी और किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। मैं भी गणेश साईं राम की तस्वीर लेकर चलता हूं। कुछ लोग नमाज अदा करते हैं। बता दें, काशी महाकाल एक्सप्रेस के बोगी नंबर 5 के बर्थ नंबर 64 पर अस्थायी मंदिर बनाया गया।