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भारत- नेपाल सीमा पर पीलरों का सर्वे 26 मई को होगा पूरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 18 2020 7:31PM | Updated Date: Jan 18 2020 7:49PM
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नैनीताल। भारत और नेपाल के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गायब हुए पीलरों और अतिक्रमण की जांच का काम आगामी 26 मई तक पूरा कर लिया जाएगा। इसी अवधि में दोनों देशों की सीमा पर क्षतिग्रस्त पीलरों की भी पहचान का काम कर लिया जाएगा। अतिक्रमण होने की स्थिति में दोनों देशों की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी अमल में लायी जाएगी। भारत-नेपाल के अधिकारियों के बीच शुक्रवार को हुई समन्वय बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
 
उत्तराखंड के चंपावत जिले के बनबसा स्थित राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) के अतिथि गृह में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में तय किया गया कि दोनों देशों की सीमा पर पीलर संख्या 711 से 800 तक का सर्वे किया जाएगा। साथ ही सीमा पर क्षतिग्रस्त व टूटे फूटे पीलरों के चिन्हीकरण का काम भी इसी अवधि में पूरा कर लिया जाएगा। समन्वय बैठक में तय किया गया कि पीलरों के सर्वे और चिन्हीकरण का कार्य 26 मई तक पूरा कर लिया जाएगा।
 
इसमें दोनों देशों की ओर से  कोई बाधा उत्पन्न नहीं होने दी जाएगी। दोनों देशों के अधिकारी आपसी सांजस्य और सहमति से इस कार्य को पूरा करेंगी। पीलर संख्या 711 से सर्वे का कार्य किया जाएगा। किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने पर उसका सरलीकरण व समाधान करने का प्रयास किया जाएगा। बैठक में यह भी तय किया गया कि इस कार्य को संपादित करने के दौरान सुरक्षा संबंधी समस्या उत्पन्न नहीं होने दी जाएगी और दोनों देशों के अधिकारी इसे आपसी सांजस्य से हल करेंगे।
 
यही नहीं बैठक में यह भी तय किया गया कि सर्वे कार्य में लगे अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा वाहनों की पूरी जानकारी एक दूसरे देशों को पहले ही उपलब्ध करा दी जाएगी। जिससे किसी विवाद से बचा जा सके। बैठक में नेपाल के कंचनपुर और कैनाली जिलों के जिलाधिकारियों सुशील वैद्य और योगराज बोहरा के अलावा अन्य अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान सीमा पर हुए अतिक्रमण की जांच की जाएगी। अतिक्रमण पाये जाने पर उचित कार्रवाई अमल में लायी जाएगी।
 
चार माह बाद अंतिम बैठक में सभी बिन्दुओं के समाधान को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। समन्वय बैठक में नेपाल के अधिकारियों के साथ ही चंपावत के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के अलावा पीलीभीत और हल्द्वानी के प्रभागीय वनाधिकारी नवीन कांडपाल, कुंदन कुमार, लखीमपुर के पुलिस अधिकारी और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के अधिकारी भी शामिल थे। 
 
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